For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : गुब्बारा (गणेश जी बागी)

"वाह वाह !! क्या लिखते हैं साहब, एक बार किताब छपने तो दीजिये, देखिये कैसे लोग हाथो हाथ उठा लेते हैं I"

पाण्डुलिपि पलटते हुए प्रकाशक ने "कवि जी" से कहा । खैर, जीवन भर की कमाई और कुछ मित्रों से उधार लेकर किताब छप गयी। 
प्रकाशक ने पाँच सौ प्रतियां "कवि जी" के पास भिजवा दीं । 
झाड़ू लगाते समय पत्नी का भुनभुनाना अब रोज की बात हो गयी ।
.

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : दुकानदारी

Views: 1008

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 10:33am

लघुकथा पसंद करने हेतु दिल से आभार प्रेषित है आदरणीय जितेंद्र जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 10:29am

आदरणीय शिज्जु भाई, उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 10:29am

आदरणीया वेदिका जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति उत्साहवर्धक है, बहुत बहुत आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2014 at 10:29am

लघुकथा पसंद करने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 10, 2014 at 9:15pm

हार्दिक अभिनन्दन बागी जी,

पन्नों की बातें पंक्तियों में समेट दीं। आपकी सराहना में दो पंक्तियाँ विशेष आपके लिए लिखीं हैं, कि 

             "यूँ तो हम सभी में, उस रब की ही छवि है,

                  जो दर्द बाँट ले, वही तो कवि है ।"   

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2014 at 5:41pm

आदरणीय बागी जी

ऐसे गुब्बारे रोज ही फुस्स  होते रहते है i पर जब तक फुस्स नहीं होते  वैसे ही फूले रहते हैं i सुख फूले रहने में है तो छपाओ  क्यूँ i काश हम् कुछ  तो अपना आत्म मूल्यांकन करें i फुस्स की नौबत न आने दे i  बेहतरीन लघु कथा i सम -सामयिक भी और सन्देश भी देती हुयी i सादर i

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 10, 2014 at 2:48pm

आदरणीय बागी सर ....इस सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई ..सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 9, 2014 at 11:11pm

बहुत ही बेहतरीन लघुकथा. आइना दिखाती हुई चंद पंक्तियाँ, बहुत -बहुत बधाई आदरणीय बागी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 9, 2014 at 7:48pm

आदरणीय बागी जी लघुकथा के माध्यम से आपने एक दबी हुई सच्चाई बयान की है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by वेदिका on October 9, 2014 at 1:13pm
आह! एकदम कवि के ह्रदय को चीर के उस लहू से लिखी गयी लघुकथा पर अथाह बधाई प्रेषित है
सादर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
2 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service