For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल्ली चीखती है

किसी की सरफ़रोशी चीखती है
वतन की आज मिट्टी चीखती है

हक़ीक़त से तो मैं नज़रें चुरा लूँ
मगर ख़्वाबों में दिल्ली चीखती है

हुकूमत कब तलक ग़ाफिल रहेगी
कोई गुमनाम बस्ती चीखती है

भुला पाती नहीं लख्ते-जिगर को
कि रातों में भी अम्मी चीखती है

बहारों ने चमन लूटा है ऐसे
मेरे आंगन में तितली चीखती है

गरीबी आज भी भूखी ही सोई
मेरी थाली में रोटी चीखती है

महज़ अल्फ़ाज़ मत समझो इन्हें तुम
हरेक पन्ने पे स्याही चीखती है

मियाँ, मुश्किल बहुत है शायरी ये
ग़ज़ल कहने पे बीवी चीखती है

जिसे तू ढूँढने निकला है 'परिमल'
तेरे सीने में बैठी चीखती है

© समीर परिमल

Views: 986

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 1, 2015 at 4:38am

एक एक अशआर कमाल का हुआ है, हर एक अशआर ने दिल को छुआ है, वाह आदरणीय समीर भाई जी ... ढेरो दाद कुबूल करें .... एक दिन सार्थक हुआ, इस कमाल को पढ़कर. ह्रदय से बधाइयाँ प्रेषित है. स्वीकार करें... 

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:28pm

बहुत सुन्दर ..गज़ल की बारीकियाँ मैं नहीं जानती , पढ़ कर आनंद आ गया ..बेहद उम्दा ..हार्दिक बधाई आप को 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 6:57pm

एक एक शेअर सीधे दिल में उतरने वाला हुआ है आ० समीर परिमल जी, अभिनन्दन एवं बधाई स्वीकार करें।   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 31, 2014 at 9:02pm

एक-एक शेरशोला, एक-एक शेर गुहर !

इस सुगढ़ ग़ज़ल के लिए बार-बार दाद, आदरणीय समीर परिमलजी.

Comment by savitamishra on October 30, 2014 at 9:13pm

बहुत खुबसुरत

Comment by Samir Parimal on October 25, 2014 at 6:44pm
तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ वन्दना जी
Comment by Samir Parimal on October 25, 2014 at 6:41pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी.... हार्दिक आभार
Comment by vandana on October 25, 2014 at 6:22pm


हुकूमत कब तलक ग़ाफिल रहेगी
कोई गुमनाम बस्ती चीखती है

बहारों ने चमन लूटा है ऐसे
मेरे आंगन में तितली चीखती है

बहुत खूब आदरणीय समीर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 22, 2014 at 10:17pm

सुन्दर ग़ज़ल लिखी है समीर जी ,

भुला पाती नहीं लख्ते-जिगर को
कि रातों में भी अम्मी चीखती है-----हृदय स्पर्शी शेर बहुत खूब 

बधाई आपको 

Comment by Samir Parimal on October 22, 2014 at 8:27pm
शुक्रिया आदित्य जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service