For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक कप चाय (लघुकथा)

"यार एक कप चाय मिल जाती तो मजा आ जाता I"  
पतिदेव का हुक्म सुन घर की साफ़ सफाई करके थकी हारी पत्नी रसोईघर की तरफ मुड़ गयी.
साहब सोफे पर बैठ कर टीवी ऑन कर मजे से चैनल बदलते हुए कह रहे थे:
"आज तो यार बहुत थक गए, दीपावली पर बाज़ार जाना, उफ्फ्फ्फ़ ...."
पति की हां में हां मिलाते हुए पत्नी चाय देकर वापिस मुड़ गई और अपने काम में लग गयी !

"मौलिक व अप्रकाशित"

आलोक

मथुरा

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alok Mittal on November 3, 2014 at 10:56am

आदरणीय Shubhranshu Pandey जी...बहुत बहुत आभार आपका

Comment by Alok Mittal on November 3, 2014 at 10:55am

आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी .....बहुत बहुत शुक्रिया ..आपका आशीर्वाद मिलता रहे इसी तरह ...


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 10:46am

अपनी अपनी थकावट को सुंदरता से शब्द दिए हैं, सच है कि सब कुछ करने के बावजूद भी पत्नी की थकावट सेकेंडरी ही मानी जाती है।  इस सुंदर अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है।

Comment by Shubhranshu Pandey on November 2, 2014 at 8:05pm

आदरणीय आलोक जी,

हिन्दुस्तान में रहने का ये भी एक पहलु है. जहां महिलाओं के काम को ना तो समझा जाता है और ना ही उसका नाम होता है. विदेशों में घर के काम को भी देश के GDP में जोड़ दिया जाता है. एक बार फ़िर से कथा के लिये बधाई..

सादर.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 31, 2014 at 7:11pm

बढ़िया लघुकथा, हार्दिक बधाई स्वीकारें आ0 आलोक मित्तल जी.

Comment by Alok Mittal on October 31, 2014 at 4:08pm

आदरणीय Saurabh Pandey भाई जी.....हम तो कभी नहीं आये...पर आपको रचना पसंद आई इसका आभार ..अगर ईश्वर ने चाह तो आ भी जायेंगे


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 31, 2014 at 12:21am

ए भाई, आप मेरे घर कब आये थे.. ?!!

Comment by Alok Mittal on October 28, 2014 at 10:09am

आदरणीय rajesh kumari जी....हौसला बढाने के लिए दिल से आभार आपका

बात बिलकुल सही है ...थोडा हम समझे थोडा तुम समझो तो जिंदगी की गाड़ी चल निकले ...

Comment by Alok Mittal on October 28, 2014 at 10:08am

आदरनीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी.....हौसला बढाने के लिए शुक्रिया आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 28, 2014 at 9:40am

इस अति की सीमा पार हो गई तभी तो  महिलाओं ने बीड़ा उठाया आज इससे उलट सीन भी देखने को मिल रहे हैं यदि दोनों एक दूसरे की परेशानी दिल से समझे तो परिवार में खुशहाली रहे ,बढ़िया लघु कथा ,बधाई आपको. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service