For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : दृष्टिकोण (गणेश जी बागी)

"हेलो, हाँ डॉक्टर साहब ! नमस्कार, बिटिया की शादी का निमंत्रण कार्ड भिजवा दिया है, भाभी जी और बच्चो को लेकर अवश्य आइयेगा"

"जी भाई साहब, नमस्कार, कार्ड मिल गया है, श्रीमती जी बच्चो के साथ जायेंगी, मैं न आ सकूँगा, आपको तो पता ही है शहर में डायरिया फैला हुआ है"

"हां, वो तो है, पर आपकी भगिनी की शादी है, कमसे कम दो दिन का भी समय निकालिये"

"माफ़ी चाहूंगा भाई साहब, सीजन चल रहा है यही तो दो पैसे कमाने के दिन हैं"

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : रुतबा

Views: 936

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 5, 2014 at 4:50pm

आदरणीय बागी जी

डाक्टर साहेब के पास  'भगिनी ' की शादी में भी जाना आर्थिक लाभ की सम्भावना  के  कारण  संभव नहीं   !  अर्थ के दानव ने  मानव को बिलकुल ही संवेदनशुन्य कर दिया है  i ऐसे मानव से तो पशु अच्छे है i  संवादों के बीच छिपा व्यंगार्थ उभर कर आया है i आपको  बहुत= बहुत बधाई i  सादर i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2014 at 11:51am

अब रिश्ते नाते से भी ऊपर व्यवसाय हो गया है और जिनके पेशे में सेवा भाव निहित है वह रिश्तों से अधिक कमाई को ही 

तरजीह दे रहे है, ऐसी मानसिकता पर गहरा तंज कसने में सफल रही लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आ. श्री गणेशजी "बागी" जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 5, 2014 at 11:43am

आदरनीय बागी जी , डाक्टर, जिन्हे हम ईश्वर का इंसानी रूप मानते हैं , आज उनकी मानसिकता कहाँ तक गिर चुकी है बड़ी खूब्सूरती से आपने लघुकथा मे बयान किया है ! हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2014 at 11:10am

आदरणीया वंदना जी, आपकी प्रोत्साहित करती टिप्पणी मेरे लिए महत्वपूर्ण है, हृदय से आभार आपका।

Comment by Shyam Narain Verma on November 4, 2014 at 11:10am

अति सुन्दर लघु कथा। बधाई।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2014 at 11:09am

आदरणीय जीतेन्द्र जी, आपकी टिप्पणी महत्वपूर्ण है, बहुत बहुत आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2014 at 11:07am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, लघुकथा पर आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धक है, सादर आभार।

Comment by vandana on November 4, 2014 at 7:02am

मानसिक रूप से हम कितने दिवालिया होते जा रहे हैं ...आपकी कथाओं में हमेशा यह बिंदु  बहुत सटीक तरीके से व्यक्त किया जाता है इसके लिए आपको बहुत २ बधाई आदरणीय गणेश जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 3, 2014 at 9:30pm

बहन की शादी में न जाना, लोगो की सेवा भी हो सकता था. किन्तु आज के समय में दो पैसे ज्यादा महत्व रखते है. बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय बागी जी, आपकी लघुकथाओं का शीर्षक ही पूर्ण सार कह देता है. आपको बहुत-बहुत बधाई ,सर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 3, 2014 at 9:23pm

आदरणीय जवाहर लाल जी, सदैव की भाति प्रोत्साहित करती आपकी टिप्पणी हेतु हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, स्नेह यूँ ही बना रहे, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service