For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या बात, आज क्लास अटेंड नहीं कर रही हो?"
"नहीं यार, एक नया मुर्गा फसा है आज तो बस रेस्टोरेंट और थियेटर।"

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनोद खनगवाल on November 27, 2014 at 9:38pm
आदरणीय योगराज जी, समाज की सोच और हर पहलू पर कलम चलाना हमारा कर्तव्य है। आपकी टिप्पणी को मैं सहर्ष स्वीकार करता हूँ। आगे से और बेहतर लिखने की कोशिश करूँगा। धन्यवाद

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 11:21am

आपसे हमेशा स्तरीय लघुकथाओं की आशा होती है, उस लिहाज़ से यह बहुत केजुअल सी लघुकथा है भाई विनोद खनगवाल जी.

Comment by विनोद खनगवाल on November 26, 2014 at 2:45pm
आप सभी का धन्यवाद
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 24, 2014 at 11:27am

बहुत बढ़िया सिक्सर मारा बधाई स्वीकारें l


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2014 at 5:15pm

भाई सोमेश द्वारा कही गयी बात विचारणीय है।

Comment by विनोद खनगवाल on November 23, 2014 at 10:09am

aap sabhi budhijivio ka bahut bahut dhnywad


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 22, 2014 at 6:21pm

आज के दौर के युवा .....कहीं कोई मछली फंसाता है कहीं कोई मुर्गा इस फंसने या फांसने में भागीदार तो दोनों ही हुए न !!!आज के युवा वर्ग पर बढ़िया कटाक्ष .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 22, 2014 at 11:36am

ati sunder is rachna par hardik badhaaayee saadar 

Comment by vandana on November 22, 2014 at 4:51am

चरित्र पतन पर बहुत बढ़िया व्यंग्य आदरणीय सोचने पर मजबूर करती है यह रचना कि क्षणिक सुख के पीछे क्यों भाग रही है दुनिया और सुख यदि चिरस्थाई नहीं तो हासिल करके भी प्यास बनी रहेगी शीर्षक के साथ न्य्याय करती खूबसूरत रचना 

Comment by savitamishra on November 21, 2014 at 8:52pm

hhhhhhhhhhhhhhhh ..बढ़िया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service