"क्या बात, आज क्लास अटेंड नहीं कर रही हो?"
"नहीं यार, एक नया मुर्गा फसा है आज तो बस रेस्टोरेंट और थियेटर।"
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आपसे हमेशा स्तरीय लघुकथाओं की आशा होती है, उस लिहाज़ से यह बहुत केजुअल सी लघुकथा है भाई विनोद खनगवाल जी.
बहुत बढ़िया सिक्सर मारा बधाई स्वीकारें l
भाई सोमेश द्वारा कही गयी बात विचारणीय है।
aap sabhi budhijivio ka bahut bahut dhnywad
आज के दौर के युवा .....कहीं कोई मछली फंसाता है कहीं कोई मुर्गा इस फंसने या फांसने में भागीदार तो दोनों ही हुए न !!!आज के युवा वर्ग पर बढ़िया कटाक्ष .
ati sunder is rachna par hardik badhaaayee saadar
चरित्र पतन पर बहुत बढ़िया व्यंग्य आदरणीय सोचने पर मजबूर करती है यह रचना कि क्षणिक सुख के पीछे क्यों भाग रही है दुनिया और सुख यदि चिरस्थाई नहीं तो हासिल करके भी प्यास बनी रहेगी शीर्षक के साथ न्य्याय करती खूबसूरत रचना
hhhhhhhhhhhhhhhh ..बढ़िया
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online