For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"चाची, तुम्हारी बहू को जापे में खिलाने के लिए घी का इंतजाम नहीं हो पाया है अगर थोड़ी सी मदद कर देती तो...."
"देखो बेटा, इस महीने थोड़ा हाथ तंग है।"- चाची ने बात पूरी होने से पहले ही बहाना बना दिया।
शाम को एक थाली को ढके चाची कहीं जा रही थी। उसने पूछा-"चाची, कहाँ जा रही हो?"
"बेटा, वो अपनी गली की कुतिया ने बच्चों को जन्म दिया है। जापे वाली के लिए देसी घी का हलवा बहुत फायदेमंद होता है इसलिए उसके लिए ले जा रही हूँ। बड़ा पुण्य मिलेगा।"

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनोद खनगवाल on November 27, 2014 at 9:44pm
आदरणीय योगराज जी सरहाना के लिए दिल से आभारी हूँ।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 11:31am

बहुत ही प्रभावशाली लघुकथा हुई है भाई विनोद खनगवाल जी, हार्दिक बधाई।

Comment by विनोद खनगवाल on November 26, 2014 at 2:43pm
आप सभी आदरणीय सुधीजनों का धन्यवाद
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 7:50pm

इसे कहते है कथनी और करनी का अन्तर i

Comment by vijay nikore on November 24, 2014 at 9:07am

लघु कथा अच्छी लगी। बधाई।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 23, 2014 at 5:07pm

तुलनात्मक रूप से कही गयी बात लघुकथा के माध्यम से प्रभाव छोड़ने में सक्षम है, बधाई आदरणीय विनोद जी।

Comment by विनोद खनगवाल on November 23, 2014 at 10:07am

aa. vandana ji, aa. shyam narain ji or aa. somesh ji apka aabhar

Comment by somesh kumar on November 22, 2014 at 10:44am

पाप-पुण्य का ये दायरा व्यक्ति-व्यक्ति के अनुसार बदलता है यही निज जीवन -दर्शन कहलाता है ,सुंदर विषय चयन के लिए बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on November 22, 2014 at 9:58am

बहुत बढ़िया लघुकथा ,बधाई

Comment by vandana on November 22, 2014 at 4:45am

वास्तविकता है यह और विडंबना भी कि पुण्य का संसार जानवरों तक सिमट गया है जबकि शास्त्रों ने मनुष्य समेत पर्यावरण का ध्यान रखने को पुण्य कहा है 

बहुत बढ़िया विषय चयन आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service