शोर होता रहा रोशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे चाशनी के लिये |
बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाँदनी के लिये |
लूट मचती रही चीख होता रहा ,
अश्क गिरते रहे ज़िंदगी के लिये |
हाथ बाँधे खड़े देखते रह गये ,
घर जला आग में दोस्ती के लिये |
नाव डूबी वहीँ आब ना था जहाँ ,
यार बैरी बना आशिकी के लिये |
श्याम नारायण वर्मा
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
अनुमोदन और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार । |
शोर होता रहा रौशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे ढीबरी के लिये |
बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाकरी के लिये |
लूट मचती रही शोर होता रहा ,
अश्क गिरते रहे ज़िंदगी के लिये |
हाथ बाँधे खड़े देखते रह गये ,
घर जला आग में दोस्ती के लिये |
नाव डूबी वहीँ आब कम था जहाँ ,
यार बैरी बना आशिकी के लिये |
आदरणीय श्याम वर्मा जी आपने सुन्दर सर्जना की और सुझाओं के बाद एक बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हो गई .... बधाई
ये ग़ज़ल आज तो राधिका हो गई
श्याम जीता रहा शायरी के लिए |
आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी और केतन कमल जी सही राय देने के लिए आप लोगों का बहुत बहुत आभार |
सादर ..............
Bahut achche sujhaav diye hai Ganesh Ji ne waaah achchi koshish hai sahab kahte rahiye qamyabi milegi zaroor duaa karta hun
लूट मचती रही चीख होता रहा i इसमें चीख होता रहा के स्थान पर शोर होता रहा कर सकते है i बाकी गजल अच्छी है i
बहुत बहुत धन्यवाद जी , आपका हार्दिक आभार |
सादर ........................
//शोर होता रहा रोशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे चाशनी के लिये |//
शोर होता रहा रौशनी के लिये |
लोग लड़ते रहे ढीबरी के लिये |
मतला को सुधारा है ताकि काफिया सही हो सके, वरना प्रस्तुत ग़ज़ल खारिज हो जाती .
//बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाँदनी के लिये |//
बेबसी का नज़ारा न देखा कोई ,
मार होती रही चाकरी के लिये |
काफिया बदला है ताकि दोनो मिसरो मे रब्त हो सके . शेष सभी अशआर बढ़िया हैं, बहुत बहुत बधाई आदरणीय .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online