For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकान्त कविता : पगली (गणेश जी बागी)

अतुकान्त कविता : पगली

विवाहिता या परित्यक्तता
अबला या सबला
नही पता .......
पता है तो बस इतना कि
वो एक नारी है ।


साथ में लिए थे फेरे
फेरों के साथ
वचन निभाने के वादे

किन्तु .......
उन्हे निभाना है राष्ट्र धर्म
और इसे ……
नारी धर्म
पगली !!


उनकी सफलता के लिए
व्रत, उपवास, मनौती
मंदिरों के चौखटों पर
पटकती माथा
और खुश हो गयी
महज सुनकर कि
एक सरकारी कागज में
पत्नी की जगह
उन्होने उसका नाम लिख दिया
मज़बूरी मे ही सही
पहले तो छोड़ देते थे खाली
पगली !!


काल चक्र घुमा
मन्नतें पूर्ण हुईं
बड़ी उम्मीद से सूर्य की ओर तकती
कोई किरण लेकर आएगी बुलावा
इंद्रासन पर बैठते हुए देखना चाहती थी
पगली !!


कोई शिकायत नही
संस्कारी नारी
स्कूल मे पढ़ाती रही
ढाई आखर प्रेम के
किंतु
खुद न पढ़ सकी
सुबह से रात
रात से सुबह
फिर आस जग उठी
आएगा इंद्रलोक से बुलावा
रहने जाएगी महल में
पगली !!


हाय री नारी
यह दिन भी देखना पड़ा
पूछना पड़ा
क्या है अधिकार
उसे आज भी लगता है
वह है अर्धांगिनी
पगली !!

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : दौर

Views: 1606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 16, 2014 at 11:26pm

इस रचना पर पहले भी दृष्टि पड़ी थी लेकिन चलताऊ ढंग से कुछ कहना नहीं चाहता था. व्यष्टिमूलक को समष्टिमूलक कर उसे प्रासंगिक बनाने का सार्थक प्रयास् हुआ है, भाई गणेशजी. रचना सपाटपन को प्राप्त हो सकती थी. किन्तु बहुत ही कुशलता से घटनाओं को समग्र में प्रस्तुत कर विमर्श हेतु प्रस्तुत किया गया है. यही रचनाकर्म की विशिष्टता भी हुआ करती है.
इस सार्थक तथा गंभीर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 13, 2014 at 9:23pm

आदरणीय बागी जी, सजीव रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2014 at 8:30pm

अच्छी कविता है बागी जी, दाद कुबूल कीजिए

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on December 3, 2014 at 9:55pm

व्यक्ति विशेष के जीवन चक्र को अत्यंत कुशलता पूर्वक समस्ति में बदल दिया आपने. बहुत बधाई आ० गणेश जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 3, 2014 at 2:00pm

आदरणीय गणेश सर ..अत्यंत पभावी तरीके से आपने आज भी नारी की क्या स्थित है का चित्रण किया है ..स्त्री वाकई त्याग की मूर्ती है फिर आस जग उठी 
आएगा इंद्रलोक से बुलावा
रहने जाएगी महल में 
पगली !.............यह तो हम सबकी कामना थी दुर्भाग्य वश ऐसा न हुआ ..

इस रचना पर आपको ढेर सारे  बधाई सादर  

Comment by ram shiromani pathak on December 2, 2014 at 1:59pm

वाह क्या बात है आदरणीय गणेश जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति//हार्दिक बधाई सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 30, 2014 at 4:46pm

इस कविता पर आपकी उपस्थिति ही रचना को सम्मानित कर गयी, बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय जी  . 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 30, 2014 at 4:44pm

आभार आद. अजय शर्मा जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 30, 2014 at 4:43pm

इस प्रस्तुति पर आपकी टिप्पणी पढ़ मन गदगद है आदरणीय जवाहर लाल जी, बहुत बहुत आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 29, 2014 at 1:50pm

प्रिया सोमेश जी, आपको रचना पसंद आयी, लेखन कर्म सार्थक हुआ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
19 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service