For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : सुकून (गणेश जी बागी)

                         व्यंग्यात्मक शैली में लिखने के लिए जाना जाता है, उसकी कवितायेँ बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से राजनेताओं पर तीखी मार करती हैं, उसकी कविता प्रतिष्ठित अखबार के साहित्यिक स्तम्भ में आज प्रकाशित हुई है, कल से ही वो परेशान और बेचैन था, जाने क्या होगा, पता नहीं उसकी अभिव्यक्ति को लोग समझ भी पाएंगे अथवा नहीं, रात भर वह सो न सका ।
                        सुबह होते ही मोबाइल की घंटियां बजने लगी, उसका मन शांत था और चेहरे पर सुकून के भाव थे, उसकी अभिव्यक्ति समझ ली गयी थी, गालियों संग धमकियों का दौर चालू हो गया था ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => अतुकान्त कविता : पगली

Views: 1166

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on June 2, 2016 at 10:48pm

लाजवाब  लघुकथा  है  ये  आपकी  आदरणीय गणेश जी 'बागी ' जी , बहुत -बहुत  बधाई  आपको . 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2014 at 2:51pm

बहुत कमाल की लघुकथा हुई है भाई गणेश बागी जी, बधाई प्रेषित है।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 8, 2014 at 12:10pm

सादर नमन ,सर

दरअसल सर, १८ नबम्बर को एक सड़क दुर्घटना में मेरे दायें हाथ व् पैर में काफी चोट आई. हाथ की सर्जरी के कारण मुझे १० दिनों तक हॉस्पिटल में एडमिट रखा गया. हाथ पूरा कवर्ड किया हुआ है जो फरवरी तक रहेगा. बाएं हाथ से टाइपिंग में परेशानी होती है. अत कमेन्ट नही लिख पाटा.

लघुकथा पर आपको पुन: बधाई ,सर . आपके स्नेह हेतु हमेशा आपका आभारी हूँ

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2014 at 10:56pm

क्या महीनी है ! वाह-वाह !! इस लघुकथा का अंदाज़.. सुबहानअल्लाह !!!


गणेशभाई, कहना न होगा, आजकल लघुकथाओं पर आपकी पकड़ इतनी सशक्त होती जा रही है कि बस मुग्ध हुआ जा सकता है. इधर की कई लघुकथाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हुई हैं. इन संग्रहणीय ही नहीं, अनुकरणीय प्रयासों पर हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें.
शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 7, 2014 at 8:47pm
आदरणीय बागी जी अत्यधिक प्रभावशील और सीधे दिमाग को झंकझोर देने वाली कहानी । सब कुछ समझ में आने के बाद भी उस सत्य का प्रश्न दिमाग में लगातार चलने लगा है। बेहतरीन लघुकथा।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 7, 2014 at 7:10pm

प्रिय सोमेश जी, आपकी सराहना निश्चित ही और अच्छा लिखने हेतु प्रेरित करती है, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 7, 2014 at 7:09pm

आदरणीय अखिलेश भाई साहब, दो पक्तियों मे आपने लघुकथा को समेट दिया है, बहुत बहुत आभार .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 7, 2014 at 7:05pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी टिप्पणी सदैव उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार . 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 7, 2014 at 7:05pm

इस आशीष हेतु आभार आदरणीय विजय निकोर जी .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 7, 2014 at 7:04pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पास्तारिया जी, आजकल आपकी उपस्थिति कम हो रही है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
14 hours ago
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service