बस इतना मेरा जीवन
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
वो ही मेरा सोना-चाँदी
उनसे मेरा तन-मन-धन
आने वाले कल की सूरत
जिनकी रेखा खींच रहा
कल पक के धन्य-धान करेंगी
मैं वो फसलें सींच रहा
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
सुबह मिल अभिवादन करते
मन हो जाता बहुत प्रसन्न
होड़ लगाए बढ़-चढ़ आते
सर बजा दें टन-टन-टन |
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
असेम्बली होते ही होड़ लगाते
करते बिल्कुल देर नहीं
सर की कुर्सी मैं ले जाऊं
ले जाए ना और कोई
और किसी पेशे में क्या
पाता इतना प्रेम कोई
मन के सच्चे ,तन के भोले
ये मिट्टी के कच्चे बरतन |
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
पढ़ने की बारी आती तो
मन भारी कर लेते हैं
ना पढ़ने पे ना डांट पिले
ऐसी लाचारी कर लेते हैं
सिर चकरा जाता अक्सर
ऐसे-ऐसे करें प्रश्न |
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
करें शरारत अक्सर सारे
पर दूजे की शिकायत लाते हैं
करते आपस में झगड़ा-झगड़ी
और शराफत दिखलाते हैं
चाहे करें खूब लड़ाई
मन में रखते घात नहीं
ये सीधे-सच्चे बच्चे हैं
बड़ों सा इनमें प्रतिघात नहीं
तन इनका फूलों
जैसा मन गंगा सा पावन|
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
सब्जेक्ट की कॉपी पर
पर लगा कर उड़ते हैं
बिंदी में तारे चुनते हैं
रेखा में चंदा गढ़ते हैं
चित्र अनोखे सुंदर प्यारे
नित-नित करें नये सृजन |
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
पके हुए फल हम सारे
थके हुए बादल हम सारे
बिन सोचें बरसात करें
नव-अंकुर का करें क्षरण
वो हम जैसे देखें दुनियाँ
इस पर अड़े सभी प्रयत्न|
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
बचपन में जो हम लौटें
तो खुद को इन-सा पाएंगे
‘मैं’ की जो काई हट जाए
खुद को उजला पाएंगे
पड़े हुए पत्थर हट जाएँ
तो धाराएं बहें कल-कल |
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
सोमेश कुमार(मौलिक एवं प्रकाशित )
Comment
pdhne aur srhane ke lie sukriya
सुन्दर प्रस्तुति है भाई सोमेश कुमार जी।
बचपन में जो हम लौटें
तो खुद को इन-सा पाएंगे
‘मैं’ की जो काई हट जाए
खुद को उजला पाएंगे
पड़े हुए पत्थर हट जाएँ
तो धाराएं बहें कल-कल |
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन
सुन्दर चित्र खींचा है आपने ..बधाई!
वर्णन से पूरा चित्र खिंच जाता है i सुन्दर i
सुन्दर प्रस्तुति भाई जी //हार्दिक बधाई आपको
मैं बच्चों में बच्चे मुझमें
बस इतना मेरा जीवन....बहुत खूब सोमेश भाई ,एक समर्पित शिक्षक को चित्रित कर दिया आपने !
सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई। |
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