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ग़ज़ल " है नहीं अभिमान जिसमे "

जिंदगी में क्या कमी है !
हर ख़ुशी मेरी ख़ुशी है !!

है नहीं कोई हुनर तो !
जिंदगी किसकी सगी है !!

इल्म कोई है अगर तो !
नौकरी फिर आपकी है !!

आजकल फन का जमाना !
फेन बिना क्या आदमी है !!

हर कला को जानता वो !
इसलिए तो मतलबी है !!

तैरना तुम जानते हो !
साथ चल आगे नदी है !!

चाहिए क्या और मुझको !
जब खुदा में बंदगी है !!

है नहीं अभिमान मुझको !
जिंदगी में सादगी है !!

(मौलिक एवम अप्रकाशित )

** आलोक **

मथुरा

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Comment

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Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:07am

आद. vijay nikore आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:06am

आद. Somesh जी....आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:06am

आद. gumnaam pithoragarhi जी आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:05am

आद. गिरिराज भंडारी जी.....आपको ग़ज़ल पसंद आई इसका बहुत बहुत आभार

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:05am

आद. Dr. Vijai Shanker जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Alok Mittal on December 17, 2014 at 11:04am

आद. मिथिलेश वामनकर जी....मेरा हौसला बढाने का आपका आभार

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 11:52pm

सुंदर गज़ल ,फन और मतलबी वाले शे'रों ने प्रभावित किया 

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:29pm

गज़ल अच्छी लगी.... बधाई

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 16, 2014 at 10:19am

सुन्दर ग़ज़ल। हार्दिक बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2014 at 9:52am

आ, आलोक भाई , बढिया गज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें ।

एक बात - जब खुदा में बन्दगी है , कहना सही है या जब खुदा की बन्दगी है , सोच लीजियेगा ।

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