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ग़ज़ल " है नहीं अभिमान जिसमे "

जिंदगी में क्या कमी है !
हर ख़ुशी मेरी ख़ुशी है !!

है नहीं कोई हुनर तो !
जिंदगी किसकी सगी है !!

इल्म कोई है अगर तो !
नौकरी फिर आपकी है !!

आजकल फन का जमाना !
फेन बिना क्या आदमी है !!

हर कला को जानता वो !
इसलिए तो मतलबी है !!

तैरना तुम जानते हो !
साथ चल आगे नदी है !!

चाहिए क्या और मुझको !
जब खुदा में बंदगी है !!

है नहीं अभिमान मुझको !
जिंदगी में सादगी है !!

(मौलिक एवम अप्रकाशित )

** आलोक **

मथुरा

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Comment by Dr. Vijai Shanker on December 15, 2014 at 8:14am
सुन्दर रचना। बधाई आदरणीय अलोक जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 14, 2014 at 12:14pm
बेहतरीन और सुन्दर ग़ज़ल। हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आजकल फन का जमाना
फन बिना क्या आदमी है

कृपया ध्यान दे...

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