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गीत / नवगीत - बर्तन भांडे चुप चुप सारे ( गिरिराज भंडारी )

बर्तन भांडे चुप चुप सारे

*************************

बर्तन भांडे चुप चुप सारे

चूल्हा देख उदासा है

टीन कनस्तर खाली खाली

माचिस देख निराशा है

 

लकड़ी की आँखें गीली बस 

स्वप्न धूप के देख रही 

सीली सीली दीवारों को

मन मन में बस कोस रही

 

पढा लिखा संकोची बेलन 

की पर सुधरी भाषा है

बर्तन भांडे चुप चुप सारे

चूल्हा देख उदासा है

 

स्वाभिमान बीमार पडा है

चौखट चौखट घूम रहा

गिर गिर पड़ता है, हर दर में

जैसे चौखट चूम रहा

 

थाली का आकार बिगड़ अब

लगता जैसे कासा है

बर्तन भांडे चुप चुप सारे

चूल्हा देख उदासा है

 

थोड़ी हवा चली, इच्छाएं

आँगन तक ले आये हैं

पल भर को जो धूप खिली थी 

इनको भी दिखलाये हैं

 

जब तक सांस बची है अपनी

तब तक रखनी आशा है 

बर्तन भांडे चुप चुप सारे

चूल्हा देख उदासा है

*****************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1063

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 18, 2014 at 7:14pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , नवगीत रचना को मान देने के लिये आपका दिल से शुक्रिया ।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 6:30pm

छोटे भाई गिरिराज

यह गीत भारत की आधी आबादी के रहन सहन और हालात पर बिल्कुल सटीक है ।

हारदिक बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 18, 2014 at 5:50pm

आ० अनुज

आज--कल आप हर विधा को आजमा रहे है और नजर न लगे क्या खूब आजमा रहे  हैं i आमीन i

Comment by Hari Prakash Dubey on December 18, 2014 at 12:04pm

जब तक सांस बची है अपनी

तब तक रखनी आशा है ....

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी इस सुन्दर  रचना के लिए हार्दिक  बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:11pm

आदरणीय विजय शंकर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:10pm

आदरणीय सोमेश भाई आपका दिली आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:10pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , प्रथम नवगीत की सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:09pm

आदरणीय गुमनाम भाई , आपका शुक्रिया !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:08pm

आदरणीय शिज्जु भाई , हौसला अफज़ाई के लिये दिली शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:07pm

आदरणीय नीरज भाई ,उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।

कृपया ध्यान दे...

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