For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों होता है अकेलापन
क्यों खो जाता है बचपन.
क्यों हो जाते है हम बड़े
कहाँ चल जाता है छुटपन.
क्यों नहीं आती नींद,
क्यों अपने जाते बिंध
क्यों पराया बनता मित्र
क्यों होते स्वयं में लिप्त.
क्यों तिरोहित हो जाता
जीवन का सुखद संगीत.
क्यों छूट जाता अतीत.
क्यों उदासीन होता मन
जबकि साथ है तन- धन .
क्यों बढ़ जाता मोह
जीवन का यह उहापोह.

.
विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित.

Views: 443

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on December 18, 2014 at 8:01am

आदरणीय शिज़ज़ु शकूर भाई जी,
रचना पर आपकी सराहना पाकर धन्य हुआ.बहुत आभार,सादर.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on December 18, 2014 at 7:59am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी,
रचना पर आपकी सराहना पाकर धन्य हुआ.बहुत आभार,सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 11:09pm

क्यों उदासीन होता मन 
जबकि साथ है तन- धन .
क्यों बढ़ जाता मोह 
जीवन का यह उहापोह

बहुत अच्छी रचना है बधाई आपको आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 7:57pm

बहुत अच्छी रचना है बधाई आपको

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on December 17, 2014 at 9:12am

आदरणीय गोपाल नारायण जी,सोमेश कुमार जी,हरी प्रकाश जी,
आप सबों ने रचना के प्रश्नों का संज्ञान लिया,मेरा रचनाधर्म सार्थक हुआ .आप सबों का बहुत- बहुत आभार

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 17, 2014 at 8:50am

i विजय जी

प्रश्न आपने उठाये i उत्तर हमें तलाशने है i कोशिश करता  हूँ i सादर

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 10:51pm

जीवन की इस उहापोह में उलझे हम सभी पथिक अपनी यात्रा पर चलायमान हैं ,बहुत से प्रश्नों के जवाब कभी नहीं मिलेगें ,यात्रा यथावत रहेगी ,यात्री तब्दील हो जाएँगे 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 16, 2014 at 10:32pm

क्यों बढ़ जाता मोह 
जीवन का यह उहापोह...सुन्दर रचना आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी ,हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service