For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब जाना जफा ज़माने की......................

सजा मिली है मुहब्बत में वफ़ा  निभाने की|
अब जाना जफा ज़माने की.......................
उसने पल भर में उम्मीदों का गला घोंट दिया|
जिंदगी भर न भूलू उसने ऐसी चोट दिया|-२
हसरतें रह गयी पलकों पे उसे सजाने की|
अब जाना जफा ज़माने की......................
उसने इकरार मुहब्बत का बार -बार किया|
मैंने भी बेसुध बेख़ौफ़ उसे प्यार दिया|
यही तमन्ना अब उसको भूल जाने की,
करूँ तमन्ना अब उसको भूल जाने की|
अब जाना जफा ज़माने की......................
अपनी झूठी मुहब्बत में मुझे बांधे रखा|
एक ही तीर से निशाने कई साधे रखा|
ऐसी कोशिश की वो खुद को बहलाने की|
अब जाना जफा ज़माने की......................
सजा मिली है मुहब्बत में वफ़ा  निभाने की|

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on August 20, 2011 at 9:53am

आप लोगो को मेरी ये रचना पसंद आई मै बहुत प्रसन्न हूँ|
आप लोगो का सुझाव मुझे बहुत अच्छा लगता है| इसे कोई मूढ़ ही अन्यथा लेगा|
आप लोगो को बहुत बहुत धन्यवाद|

Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on August 19, 2011 at 6:48am

मोहब्बत में बेवफाई  एक इम्तिहान है

जोश ए मुहब्बत क्या आसान काम है?

गौर फरमाइए ज़रा हालात पे उनके....

ऐसी  मायूसी का यहाँ कैसा काम है ?  

 

Comment by rohit kumar sahu on April 19, 2011 at 4:34pm

kyo karte ho mohabaat jab wafa ki aas hai,

zuthe hai jamane nkab ki aar par mat azmana kisi ko

Comment by Raju on March 19, 2011 at 8:13pm
bahut badhiya Aashish bhai
Comment by Tilak Raj Kapoor on March 19, 2011 at 6:48pm

क्‍या हो गया भाई, इस उमं में ऐसे झटके लगते रहते हैं और इनसे बचने का एक ही तरीका है कि अनुभवियों की राय मानकर इस छलावे से दूर रहा जाये।

अनुभव की बात यह है कि हम एक ही पक्ष पर विचार करते हैं। दूसरा भी देखें तो बात बने।

Comment by Veerendra Jain on March 18, 2011 at 1:14pm
dard ki sunder abhivyakti ki hai aapne...Aashish ji...bahut badhai..
Comment by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 17, 2011 at 1:19pm

धीरे धीरे मुहब्बत में आनन्द आने लगेगा 

हर प्यार उसका इकरार लगने लगेगा 

Comment by Rash Bihari Ravi on March 14, 2011 at 7:41pm
bahut badhia khubsurat
Comment by Lata R.Ojha on March 14, 2011 at 12:18pm
"दर्द को गीत बना के सुना दिया ,लोग समझे की नहीं क्या पता बस वाह करते रहे.."
 कुछ ऐसे ही भाव समेटे हुए है ये रचना ..बहुत खूब 
Comment by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 12:35pm
वाह आशीष जी अपनी भावनाओं को शब्दों में कविता के रूप में बखूबी ढाला आपने | रचना प्रभावशाली और प्रशंसनीय है | बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service