For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"लुटा हाट में नोट वोटें बटोरे",-

चुनावी समा बाँधना हो जभी वो,

गली में लुटाते रुपैया तभी वो|

लुटा हाट में नोट वोटें बटोरे,

यही वो घड़ी जो भुनाते चटोरे ||

 

बनायें-बिगाड़ें, सभी पे तुले वो,

इसारा मिले बर्तनें भी धुलें वो|

दिखे जो हुआ आपसे वोट लेना,

विजेता हुए तो, अधेला न देना ||

 

कभी ज्ञान की  ज्योंति जाया न होगी,

बली पुष्ट होते निरा मूढ़-रोगी |

मिटाये अँधेरा डगोँ को बढ़ाए,

यही ज्योंति प्रेरा शिखा पे चढ़ाए….

*******************************

शरद सिंह ‘विनोद’

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 23, 2014 at 4:33pm

आदरणीय श्री "शकूर" जी प्रेरणा हेतु धन्यवाद..........

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 23, 2014 at 4:27pm

"जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचते कवि" बहुत खूब सोमेश जी धन्यवाद....छन्दोत्सव हेतु ही यह रचना थी|

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 23, 2014 at 4:15pm

आदरणीय श्री 'भंडारी' जी विश्लेषणात्मक टिप्पणी के लिये हार्दिक धन्यवाद !

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 23, 2014 at 2:11pm

आदरणीय योगेन्द्र जी इस रचना को गहराई से पढ़ने के लिये सहृदय धन्यवाद!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2014 at 8:34am

आदरणीय बढिया प्रस्तुति के लिये बधाइयाँ ।

प्रथम पंक्ति --  चुनावी समा बाँधना हो जभी वो   -- व्याकरण सम्मत नही लग रही है

शायद ये ठीक रहे -- चुनावी समा बाँधते हैं जभी वो -- सोच के देखियेगा ।

Comment by somesh kumar on December 22, 2014 at 11:28pm

अच्छी रचना ,छ्न्दोत्स्व में दिए ज्ञ चित्र पर आधारित लगती है ,पर भाव और लय प्रभावशाली हैं ,बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 8:22pm

अच्छी रचना है आदरणीय 'विनोद' जी सादर बधाई

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 22, 2014 at 6:40pm

आदरणीय 'वामनकर' जी सकारात्मक टिप्पणी के लिये धन्यवाद....श्रेष्ठ्जनो का आशिर्वाद.........आप जैसे विश्लेषक की हम अनुज अनुचरों को जरूरत है|

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 22, 2014 at 6:17pm

आदरणीय हरि प्रसाद दुबे जी बधाई व उत्साह वर्धन के लिये धन्यवाद

Comment by Hari Prakash Dubey on December 22, 2014 at 1:20pm

आदरणीय शरद सिंह जी  इस सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service