For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विभु से मांगो मित्र तुम, अब ऐसा वरदान

नये  वर्ष में शांत हो, मानव का शैतान

 

हो न धरा अब लाल फिर, महके मनस प्रसून

किसी अबोध अजान का, नाहक बहे न खून

 

सबके जीवन में खुशी, छा जाए भरपूर

अच्छे  दिन ज्यादा नहीं, भारत से अब दूर

 

कवि गाओ वह गीत अब, जिससे सदा विकास

तन में हो उत्साह प्रिय, मन में हो उल्लास

 

आपस में सद्भाव हो, सभी बने मन-मीत

ओज भरे स्वर में कवे, महकाओ कुछ गीत 

 

ऐसा जिससे नग हिले, विचले पारावार 

भरे देश हुंकार जब, बरसे धाराधार

 

पावन हो सबका ह्रदय, सुरभित हो संसार   

स्वाति बूँद से हो प्रकट, गजमुक्ता, घनसार

 

स्वागत है नव्-वर्ष का, जिसमे नव उत्कर्ष

विकसित सबका हिय-कमल  जगमग भारतवर्ष

 

भारत में ही भारती,  सबको बांटे ज्ञान

नए वर्ष में हो नया, उनका भी अभियान

 मौलिक/अप्रकाशित

 

                

Views: 1241

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 23, 2014 at 3:26pm

आ० शिज्जू भाई 

आपका हार्दिक आभार i  

Comment by Sushil Sarna on December 23, 2014 at 1:25pm

विभु से मांगो मित्र तुम, अब ऐसा वरदान
नये वर्ष में शांत हो, मानव का शैतान

हो न धरा अब लाल फिर, महके मनस प्रसून
किसी अबोध अजान का, नाहक बहे न खून
वाह आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी वाह .... वर्तमान के सन्दर्भ में रचे ये दोहे बहुत ही खूबसूरत और सार्थक बन पड़े हैं। इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 23, 2014 at 1:15pm

सुंदर  दोहे रचे है नव वर्ष के आगमन से पूर्व, हार्दिक  बधाई  आद  गोपाल  नारायण श्रीवास्तव जी

 

सुंदर दोहे कर रहे, स्वागत हे नव वर्ष 

अच्छे दिन आये तभी, जीवन में उत्कर्ष | - लक्ष्मण 

Comment by khursheed khairadi on December 23, 2014 at 12:15pm

पावन हो सबका ह्रदय, सुरभित हो संसार   

स्वाति बूँद से हो प्रकट, गजमुक्ता, घनसार

 

स्वागत है नव्-वर्ष का, जिसमे नव उत्कर्ष

विकसित सबका हिय-कमल  जगमग भारतवर्ष

 आदरणीय गोपालनारायण साहब ,सदभावनाओं से युक्त सुन्दर दोहावली है |आप जैसे विद्जन की शुभकामना फलित होने से भारत वर्ष का हर वर्ष  अवश्य मंगल होगा| सादर अभिनन्दन  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2014 at 8:25am

आदरणीय बड़े भाई , आदर्श नव वर्ष की कामना के लिये सबसे पहले आमीन कहना चाहता हूँ  ।

सुन्दर ,सुगठित नव वर्ष की दोहावली के लिये आपको दिल से बधाइयाँ , आदरणीय ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 23, 2014 at 7:21am
आदरणीय सौरभ सर आपका हार्दिक आभार अब स्पष्ट हुआ। मुझे शंका इसलिए भी हुई थी कि जगण बनने के बावजूद प्रवाह बाधित नहीं हुआ ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2014 at 1:01am

// किसी अबोध.. यहाँ 12 121 यहाँ विषम चरण की शुरूआत में भी जगण बनता सा लग रहा है //

भाई शिज्जूजी, आदरणीय गोपाल नारायनजी के उक्त दोहे में जगण शब्द या तदनुरूप विन्यास प्रवाह बाधा का कारण कत्तई नहीं बन रहा है. 
ऐसे विन्यासों के कई-कई उदाहरण हैं. देखिये-
१. बिना वि+चारे जो करे, सो पाछे पछताय
२. बड़ा हु+आ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर..  आदि

उपरोक्त कालजयी दोहों में विषम चरण के प्रारम्भ में ही  जगण (जभान, ।ऽ।, १२१, लघु-गुरु-लघु)  सदृश विन्यास बनता हुआ भी वाचन-प्रवाह बाधित क्यों नहीं है ?

यहीं मात्रिक छन्दों में मात्र मात्रिकता को साधने से काम नहीं चलता. बल्कि शब्दकलों को साधने के आवश्यकता बनती है. इसी तथ्य पर आदरणीय गोपाल नारायनजी से मेरी महीनों से चर्चा चल रही थी. हार्दिक संतोष है कि आदरणीय ने उन विन्दुओं को हृदयंगम कर लिया है.

अब उक्त चरण को देखें -
किसी अबोध अजान का ..
किसी (त्रिकल) अबो (त्रिकल) - यहाँ दो त्रिकल मिलकर षटकल बन रहे हैं.
ध अजा (चौकल) - सहज है. कुछ विशेष कहने की आवश्यकता नहीं है.
न का - दोहे के विषम चरण का समापन है जो अजान शब्द के जा के संयोग से रगण (राजभा, ऽ।ऽ, २१२, गुरु-लघु-गुरु) का सार्थक निर्माण कर रहा है.
यही कारण है, कि उक्त चरण में प्रवाह नहीं रुक रहा.

जगण (जभान, ।ऽ।, १२१, लघु-गुरु-लघु) वस्तुतः मात्र शब्द से ही नहीं बनते. बल्कि वे शब्दकलों के अनगढ़पन की देन हैं. वे वाचन का प्रवाह ही रोक देते हैं, इसी कारण दोहे के विषम चरण के प्रारम्भ में जगणात्मक विन्यास का निषेध है.

विश्वास है, तथ्य स्पष्ट हो पाया.
शुभेच्छाएँ

Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 12:42am

नव-वर्ष के दोहे हैं नव-वर्ष के प्राण 

कवि-कल्पना सच बने हो देश-निर्माण 

सुंदर दोहे मान्यवर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2014 at 12:37am

सुगढ़ छन्द गोपाल के, इंगित है उत्कर्ष !
आशाएँ भरपूर हैं, पूर्ण करे नववर्ष  !!

ऊर्जा से भरे, सतत उत्साहित करते इन दोहों के लिए हृदय से शुभकामनाएँ, आदरणीय गोपाल नरायनजी.
नववर्ष मंग्लमय हो !

आदरणीय कवे का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं है. शब्दार्थ प्रस्तुति हेतु सक्षमा निवेदन.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 7:44pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर बेहद प्रभावशाली दोहे हैं वाकई आनन्द आ गया बहुत बहुत बधाई हो।

सर एक छोटी सी शंका है //किसी अबोध// यहाँ 12 121 यहाँ विषम चरण की शुरूआत में भी जगण बनता सा लग रहा है, 

क्षमा सहित
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service