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प्रभाव-क्षेत्र

प्रभाव-क्षेत्र

अलग होना ही पर्याप्त नहीं है

मुखर होना भी जरूरी है

प्रखर होना और भी जरूरी है

इसी से बनती है पहचान

लोग यूँ ही नहीं सौपते अपनी कमान |

तीर सिर्फ विरोध के चलाना

कामों में अवरोध लाना

लोग लेते हैं तुम्हें जान

पर कर नहीं पाते गुमान |

नेतृत्व एक दायित्तव है

सत्ता एक कड़वा जहर

भाषण एक सामूहिक जलसा

अमलीकरण जेठ-दग्ध दोपहर |

सपने बेचना जानते हो

विज्ञापन के जादूगर हो तो

बाज़ार में हलचल तो कर सकते हो

पर ब्रांड एक विश्वास होता है

जो कमियों को स्वीकारते हुए बढ़ता है|

आँधियों में देर तक जली मशाल

कालजयी कहलाती है

जल बुझी तिलियों को दुनियाँ

सर्वप्रथम बिसराती है

महत्त्व तीली का भी है

महत्त्व मशाल का भी है

पर रोशनी का दीप्तिमान

उसका दायरा बनाता है

जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो

वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता है |

.

सोमेश कुमार

(मौलिक एवं अप्रकाशित ) 

Views: 650

Comment

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 25, 2014 at 12:14pm

महत्त्व तीली का भी है

महत्त्व मशाल का भी है

पर रोशनी का दीप्तिमान

उसका दायरा बनाता है

जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो

वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता है |

अभिनन्दन और बधाई! आदरणीय सोमेश जी 

Comment by somesh kumar on December 24, 2014 at 11:47am

प्रेणना-प्रदान करने व रचना पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए सभी साथियों और आदरणीय अग्रजों का हृदय से आभार |

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 11:38pm

सुन्दर रचना एक कुशल नेतृत्व को ध्यान देने योग्य प्रेरक रचना हेतु बधाई आदरणीय.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2014 at 10:27pm

भावप्रधान अभिव्यक्ति पर बधाई सोमेश जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 23, 2014 at 9:23pm

भाव अच्छे हैं बधाई स्वीकार करें

Comment by Chhaya Shukla on December 23, 2014 at 8:50pm

हार्दिक बधाई देती हूँ आपकी रचना बहुत अच्छी लगी सादर नमन !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 23, 2014 at 5:56pm

आँधियों में देर तक जली मशाल

कालजयी कहलाती है

जल बुझी तिलियों को दुनियाँ

सर्वप्रथम बिसराती है ....इस  सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई.सोमेश भाई ! 

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 23, 2014 at 5:27pm

आदरणीय सोमेश जी आपकी ये पंक्ति पूरी कविता को बाँध रखी है.." जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो

वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता ह|"..... बहुत-2 बधाई इस कालजयी रचना के लिये|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 23, 2014 at 4:42pm
सुन्दर प्रस्तुति बधाई।
Comment by khursheed khairadi on December 23, 2014 at 12:09pm

आँधियों में देर तक जली मशाल

कालजयी कहलाती है

जल बुझी तिलियों को दुनियाँ

सर्वप्रथम बिसराती है

आदरणीय सोमेश जी सुन्दर भाव है |हार्दिक अभिनन्दन 

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