प्रभाव-क्षेत्र
अलग होना ही पर्याप्त नहीं है
मुखर होना भी जरूरी है
प्रखर होना और भी जरूरी है
इसी से बनती है पहचान
लोग यूँ ही नहीं सौपते अपनी कमान |
तीर सिर्फ विरोध के चलाना
कामों में अवरोध लाना
लोग लेते हैं तुम्हें जान
पर कर नहीं पाते गुमान |
नेतृत्व एक दायित्तव है
सत्ता एक कड़वा जहर
भाषण एक सामूहिक जलसा
अमलीकरण जेठ-दग्ध दोपहर |
सपने बेचना जानते हो
विज्ञापन के जादूगर हो तो
बाज़ार में हलचल तो कर सकते हो
पर ब्रांड एक विश्वास होता है
जो कमियों को स्वीकारते हुए बढ़ता है|
आँधियों में देर तक जली मशाल
कालजयी कहलाती है
जल बुझी तिलियों को दुनियाँ
सर्वप्रथम बिसराती है
महत्त्व तीली का भी है
महत्त्व मशाल का भी है
पर रोशनी का दीप्तिमान
उसका दायरा बनाता है
जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो
वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता है |
.
सोमेश कुमार
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
महत्त्व तीली का भी है
महत्त्व मशाल का भी है
पर रोशनी का दीप्तिमान
उसका दायरा बनाता है
जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो
वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता है |
अभिनन्दन और बधाई! आदरणीय सोमेश जी
प्रेणना-प्रदान करने व रचना पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए सभी साथियों और आदरणीय अग्रजों का हृदय से आभार |
सुन्दर रचना एक कुशल नेतृत्व को ध्यान देने योग्य प्रेरक रचना हेतु बधाई आदरणीय.
भावप्रधान अभिव्यक्ति पर बधाई सोमेश जी .
भाव अच्छे हैं बधाई स्वीकार करें
हार्दिक बधाई देती हूँ आपकी रचना बहुत अच्छी लगी सादर नमन !
आँधियों में देर तक जली मशाल
कालजयी कहलाती है
जल बुझी तिलियों को दुनियाँ
सर्वप्रथम बिसराती है ....इस सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई.सोमेश भाई !
आदरणीय सोमेश जी आपकी ये पंक्ति पूरी कविता को बाँध रखी है.." जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो
वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता ह|"..... बहुत-2 बधाई इस कालजयी रचना के लिये|
आँधियों में देर तक जली मशाल
कालजयी कहलाती है
जल बुझी तिलियों को दुनियाँ
सर्वप्रथम बिसराती है
आदरणीय सोमेश जी सुन्दर भाव है |हार्दिक अभिनन्दन
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