For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं सूर्य के गर्भ में पला हूँ

मैं  सूर्य  के

गर्भ में पला हूँ

मैं अपने ही

अंतर्द्वंदों की आग में

तिल -तिल जला हूँ

अनगिनत दी हैं

अग्नि परीक्षायें

और उन क्रूर परीक्षाओं में

हरदम  खरा उतरा हूँ

आसमां से मैं

धरती पर गिरा हूँ 

अपने आप से ही

मैं निरंतर लड़ा हूँ

मैंने प्रसन्नचित्

मर्मान्तक पीड़ा के

पहाड़ को झेला है

हसं हसं कर

आग से खेला है

तपस्वी सा तपा हूँ

नहाया हूँ डूबकर

समुद्र में,मैं

तब अडिग चट्टान सा खड़ा हूँ

अपने ही विस्तार में

मैंने बंधा है काल को

साधा है विष विकराल को 

विष पीया है

अमृत बांटा है 

मनुष्यता के प्यार में

तुम्हें बचाने, मैं

नीलकंठ बन उतरा हूँ !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 27, 2014 at 9:56am

बहुत बहुत आभार सोमेश भाई आपका , आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 27, 2014 at 9:54am

आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी ,आपके  अत्यंत  उत्साहवर्धक शब्दों ,आपकी रचना पर प्रतिक्रिया ने ,रचना का मान  बढ़ा दिया , आपका हार्दिक धन्यवाद  !सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 26, 2014 at 12:26pm

आदरणीय मिथिलेश जी ,रचना पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया से मन अभिभूत हो उठा , आपका पुनः आभार !

Comment by somesh kumar on December 25, 2014 at 11:06pm

मैंने बंधा है काल को

साधा है विष विकराल को 

विष पीया है

अमृत बांटा है 

मनुष्यता के प्यार में

तुम्हें बचाने, मैं

नीलकंठ बन उतरा हूँ !!

 बेहद गहन विचार हैं इन पंक्तियों में इसका राजनैतिक अर्थ भी हो सकता है और अध्यात्मिक भी ,दोनों ही अर्थों में सुंदर भावपूर्ण रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 7:03pm
आदरणीय हरि प्रकाश जी आप ने कविता की पहली पंक्ति ही इतनी विशाल कैनवस पर अंकित है कि पढ़कर मुग्ध हो गया हूँ। आज दूसरी बार जब कविता का पाठन किया तो बस फिर बार बार पढता रहा। क्या खूब लिखा है- मैं सूर्य के गर्भ में पला हूँ। आपको दिल से ढेर सारी बधाई।
Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 6:47pm

आदरणीय योगराज सर आपका  भी हार्दिक आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 6:42pm

 आदरणीय  इं.गणेश जी "बागी जी ,रचना पर आपकी प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह बढ़ा देती है ,आपका हार्दिक धन्यवाद ! सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 6:37pm

आदरणीय डॉक्टर  गोपाल नारायण सर ,रचना आपको पसंद आयी ,हार्दिक आभार आपका ! सादर प्रणाम !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 6:35pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी ! 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2014 at 5:01pm

बहुत बढ़िया, अच्छी अभिव्यक्ति पर बधाई आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी के इस बार कुछ, नर्म लग रहे रंग।। -- पथिक थका रवि से कहे, मत…"
1 minute ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे, सूरज आजमा, किसमें कितना जोर     मूरख…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी कोशिशों पर तो हम मुग्ध हैं, शिज्जू भाई ! आप नाहक ही छंदों से दूर रहा करते हैं.  किसको…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा आधारित एक रचना: प्यास बुझाएँगे सदा सूरज दादा तुम तपो, चाहे जितना घोर, तुम चाहो तो तोड़ दो,…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, सदा की भाँति इस बार भी आपकी रचना गहन भाव और तार्किक कथ्य लिए हुए प्रस्तुत…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रदत्त चित्र को सार्थक दोहावली से आयोजन का शुभारम्भ हुआ है.  तन…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पैसा है तो पीजिए, वरना रहो अधीर||...........वाह ! वाह ! लाख टके की बात कह दी है आपने.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. सच है यदि धूप न हो…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! भाई लक्ष्मण धामी जी आप जो कह रहे हैं मन के मार्फ़त या दिल के मार्फ़त उस बात को मैं समझ…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service