भरी हुई मधुशालायें सारी
पीकर सारे मस्त पड़ें हैं ,
मदिरालय पर लोगों का जमघट
अब मंदिर पर बंध जड़ें हैं ,
मिटे दुःख दर्द गरीबी सारी
आया नव वर्ष उल्लास है ,
सुन्दर गति,सुन्दर मति सारी
अन्धकार भी आज उदास है ,
प्रकृति रंग बदल रही प्रतिपल
धन-धान्य का फैला प्रभाव है,
अभाव दिखता नहीं कहीं पर
दिखता समृधि का प्रभाव है ,
अतीत की पीड़ा सब विस्मृत
अब नए धुन की तलाश है,
अमृत बरस रहा गगन से
आवृत सारा पराकाश है ,
नवसर्जन की तलाश हो रही
लगता होने वाला विकास है ,
ख़त्म हो रहे अधर्म-वधर्म सब
संस्कृति कहती यही विकास है ,
नव आशाओं के दीप जल रहे
सुन्दर –सुन्दर सा विहान है ,
आनंदपूर्ण जियेगें अब सब
आया नव वर्ष, उल्लास है !!
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय गिरिराज सर रचना पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार,आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर के निर्देश को पूरी तरह संज्ञान में ले लिया है ,आपका पुनः धन्यवाद ! सादर
आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर ,रचना पर प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार , प्रस्तुतीकरण वास्तव में सुधार मांग रहा है सत्य है ,पर निरंतर सीखते जाना है ,आप ही लोगों के मार्दर्शन में,आपके आशीर्वाद की आकांशा के साथ ! सादर !
सोमेश भाई , आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार , वास्तव में अंधकार छट नहीं रहा है ,धर्म-अधर्म और गरीबी भी समाप्ति की और नहीं है , इसीलिए प्रारम्भ मे मधुशाला का सहारा लिया गया है , कल्पना की उड़ान मैं कुछ सकारात्मक अपेक्षाएं की हैं, हालाकि शिल्प मैं निखार की जरूरत है ,सहमत हूँ आपकी बात से ,पुनः धन्यवाद !
सुन्दर विचार युक्त रचना के लिये बधाइयाँ , आदरणीय हरि भाई । आ. सौरभ भाई के कहे को ध्यान अवश्य दीजियेगा ।
नये वर्ष की अगवानी में प्रस्तुत हुई इस रचना के लिए धन्यवाद, आदरणीय हरि प्रकाशजी.
यह अवश्य है कि रचनाकर्म प्रस्तुतीकरण के लिहाज से अभी बहुत अभ्यास मांग रहा है.
सादर शुभेच्छाएँ
नव आशाओं के दीप जल रहे
सुन्दर –सुन्दर सा विहान है ,
आनंदपूर्ण जियेगें अब सब
आया नव वर्ष, उल्लास है !!
भाई जी ,बड़ी सच्चाई से बस केवल ये पंक्तियाँ पसंद आई ,पर कविता कि उस दृष्टी में संकुचन लगा ,जिस परिपेक्ष्य में ये लिखी गई है |क्या वास्तव में अंधकार छट रहा है ,धर्म-अधर्म और गरीबी क्या समाप्ति की और हैं ,कृपया विचार करें |
आदरणीय शिज्जु "शकूर" सर आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
रचना पर प्रतिक्रिया पर आपका हार्दिक धन्यवाद योगेन्द्र सिंह जी !
आदरणीय हरिप्रकाश दूबे सर सुंदर रचना है बहुत बहुत बधाई, नववर्ष की शुभकामनाओं सहित
आपके इस सन्देश में नए वर्ष का आशीर्वाद मिल गया , सादर आभार डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर !!
नए वर्ष में नए हर्ष में
सुधियों का मकरंद i
जीवन का परिमल बन जाए
महकाए हर छंद i
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