नये साल की ये सुबह, सुन कोयल का गान ।
मन में ऊर्जा भर गई, तन में आई जान ।।
सर्द हवा की ले छुअन, मुख से निकले भाप।
भला-भला सा लग रहा, अंगारों का ताप।।
समय वक्र की ऊर्ध्व गति, अधो उम्र की चाल।
जीवन जो है हाथ में, गड्ढे में ना डाल।।
बीत गया जो वर्ष तो, देखें ना लाचार।
अपने सपनों को मिले, एक नया आधार।।
मोहक आँखों को लगे, एक सुहाना दृश्य।
पीछे क्या सौंदर्य के, हो मालूम अवश्य।।
-मौलिक व अप्रकाशित*
*संशोधित
Comment
आदरणीय खुर्शीद जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय गिरिराज सर आपका हार्दिक आभार, अभी संशोधित करता हूँ
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपका हार्दिक आभार आपका स्नेह मिलता रहे बस यही अनुरोध है
सादर,
आदरणीय मिथिलेश जी आपका आभार "दृश्य" और "अवश्य" की तुकांतता सही है पर "साथ" और "यथार्थ" जी हाँ यहाँ मैं गलत हूँ।
सर्द हवा की ले छुअन, मुख से निकले भाप।
भला-भला सा लग रहा, अंगारों का ताप।।
आदरणीय शिज्जू शकूर सर सुन्दर दोहावली है |सादर अभिनन्दन |
आदरणीय शिज्जु भाई , बहुत सुन्दर दोहों की रचना की है , हार्दिक बधाइयाँ । आ. गोपाल भाई की बात का संज्ञान लीजियेगा ।
शिज्जू भाई
बहुत बढ़िया दोहे रचे आपने i हिन्दीमे उर्ध्व का विलोम अधो है अतः -समय वक्र की ऊर्ध्व गति, अधो उम्र की चाल।--शायद अधिक उपयुक्त होगा i आपको सुन्दर रचना के लिए पुनः बधाई i सादर i
आदरणीय सौरभ सर छंदबद्ध रचनाओं पर जब तक आपकी टिप्पणी नहीं आ जाती दिल को सुकून नहीं मिलता आपका बहुत बहुत शुक्रिया सर आपकी सलाह पर अवश्य अमल करूँगा।
आदरणीय गणेशजी रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online