For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

नये साल की ये सुबह, सुन कोयल का गान ।

मन में ऊर्जा भर गई, तन में आई जान ।।

 

सर्द हवा की ले छुअन, मुख से निकले भाप।

भला-भला सा लग रहा, अंगारों का ताप।।

 

समय वक्र की ऊर्ध्व गति, अधो उम्र की चाल।

जीवन जो है हाथ में, गड्ढे में ना डाल।।

 

बीत गया जो वर्ष तो, देखें ना लाचार।

अपने सपनों को मिले, एक नया आधार।।

 

मोहक आँखों को लगे, एक सुहाना दृश्य।

पीछे क्या सौंदर्य के, हो मालूम अवश्य।।

 

-मौलिक व अप्रकाशित*

*संशोधित

Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 12, 2015 at 3:10pm

आदरणीय खुर्शीद जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 12, 2015 at 3:09pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका हार्दिक आभार, अभी संशोधित करता हूँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 12, 2015 at 3:08pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपका हार्दिक आभार आपका स्नेह मिलता रहे बस यही अनुरोध है
सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 12, 2015 at 3:03pm

आदरणीय मिथिलेश जी आपका आभार "दृश्य" और "अवश्य" की तुकांतता सही है पर "साथ" और "यथार्थ" जी हाँ यहाँ मैं गलत हूँ।

Comment by khursheed khairadi on January 6, 2015 at 11:30am

सर्द हवा की ले छुअन, मुख से निकले भाप।

भला-भला सा लग रहा, अंगारों का ताप।।

आदरणीय शिज्जू शकूर सर सुन्दर दोहावली है |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 5, 2015 at 10:51am

आदरणीय शिज्जु भाई , बहुत सुन्दर दोहों की रचना की है , हार्दिक  बधाइयाँ । आ. गोपाल भाई की बात का संज्ञान लीजियेगा ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2015 at 7:45pm

शिज्जू  भाई

बहुत बढ़िया दोहे रचे  आपने i हिन्दीमे उर्ध्व का विलोम अधो  है अतः -समय वक्र की ऊर्ध्व गति, अधो  उम्र की चाल।--शायद अधिक उपयुक्त होगा i आपको सुन्दर रचना के लिए पुनः बधाई i  सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 4, 2015 at 7:31pm
आदरणीय शिज्जु भाई जी इन सुन्दर दोहो के लिए हार्दिक बधाई। साथ और यथार्थ तथा दृश्य और अवश्य का तुकांत समझ नहीं आया शिज्जु भाई जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 5:00pm

आदरणीय सौरभ सर छंदबद्ध रचनाओं पर जब तक आपकी टिप्पणी नहीं आ जाती दिल को सुकून नहीं मिलता आपका बहुत बहुत शुक्रिया सर आपकी सलाह पर अवश्य  अमल करूँगा।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 4:58pm

आदरणीय गणेशजी रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
25 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
26 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service