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ग़ज़ल- मक़बूलियत अदीब की है उनके काम से

221 2121 1221 212

लिखता हूँ हर्फ़-हर्फ़ मैं जो तेरे नाम से

जज़्बात, दर्द, अश्क़ के हर एहतमाम से

 

क्या हो गया जो कोई उन्हें जानता नहीं

मक़बूलियत अदीब की है उनके काम से

 

मिल ही गया मुकाम उसे आखिरश कहीं

बेजा भटक रहा था मुसाफिर जो शाम से

 

शाइस्तगी न बज़्म में थी कोई मस्लहत

टकरा रहे थे लोग जहाँ जाम, जाम से

 

गुरबत बिकी थी लाख टके में मगर “शकूर”

गुरबत फ़रोश जी न सका एहतराम से

 

(एहतमाम- इंतज़ाम,  मक़बूलियत- प्रसिद्धि, अदीब– साहित्यकार,

मस्लहत- बनाव बिगाड़ सोच के कोई काम करना, फ़रोश-बेचनेवाला)

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 6:17am
रचना को समय देने के लिए रचना की सराहना के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया
Comment by khursheed khairadi on December 31, 2014 at 11:54am

क्या हो गया जो कोई उन्हें जानता नहीं

मक़बूलियत अदीब की है उनके काम से

 

मिल ही गया मुकाम उसे आखिरश कहीं

बेजा भटक रहा था मुसाफिर जो शाम से

आदरणीय  शिज्जू सर , सभी अशहार लाज़वाब हुये हैं |तमाम ग़ज़ल खूबसूरत है |सादर अभिनन्दन 

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 31, 2014 at 9:55am
आदरणीय क्या कहने को मेरे पास शब्दो की कमी है वाह ! उम्दा!
Comment by Hari Prakash Dubey on December 30, 2014 at 10:54pm

शाइस्तगी न बज़्म में थी कोई मस्लहत

टकरा रहे थे लोग जहाँ जाम, जाम से..... बहुत खूब शिज्जू सर, हार्दिक बधाई !

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 8:10pm

गुरबत बिकी थी लाख टके में मगर “शकूर”

गुरबत फ़रोश जी न सका एहतराम से

 शिज्जू भाई - बेहतरीन  i शब्दातीत i

Comment by Anurag Prateek on December 30, 2014 at 7:42pm

शिज्जु भाई जी, इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल पर ढेर सारी बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 7:01pm

आदरणीय   शिज्जु भाई जी, इस बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल पर ढेर सारी बधाई स्वीकार करे, पाँचों अशआर क़माल है ... सादर 

Comment by दिनेश कुमार on December 30, 2014 at 5:18pm
क्या बात है!! शकूर साहब,,,वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2014 at 11:56am

वाह वा ! क्या रवाँ , बेमिसाल गज़ल हुई है , आदरनीय शिज्जु भाई , सभी अशआर एक से एक हैं , जैसे पाँच नगीने । हार्दिक बधाइयाँ ।

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