"चंद्रा साहब कवि सम्मलेन कैसा रहा ? इस कार्यक्रम का टोटल मैनेजमेंट मेरे द्वारा ही किया गया था."
"गुप्ता जी मैं कोई साहित्यकार तो हूँ नहीं किन्तु खचाखच भरा सभागार, श्रोताओं के कहकहे और तालियों से लगा कि कार्यक्रम सफल रहा. किन्तु मुझे एक बात समझ में नहीं आयी कि वो दो लड़कियां... अरे क्या नाम था ... हां कविता ‘क्रंदन’ और शबनम ‘सिंगल’, इन्हें क्यों मंच पर बैठाया गया था, वो दोनों क्या पढ़ रहीं थीं ... यार मेरे पल्ले तो कुछ भी नहीं पड़ा."
"हा हा हा, लेकिन सीटियाँ और तालियाँ तो बजी न ! और दोनों.....माशाअल्लाह.... खुबसूरत भी हैं."
"किन्तु गुप्ता जी, क्या खूबसूरती ही सब कुछ है, भई टैलेंट भी कोई चीज होती है."
"आप नहीं समझेंगे चंद्रा साहब, फेस वैल्यू भी कोई......."
(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
आदरणीय डॉ कंवर करतार जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति उत्साहवर्धक है, सराहना हेतु हृदय से आभार.
आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत बहुत आभार, आपकी बधाई सर आँखों पर.
आदरणीय हरिप्रकाश जी, आपकी प्रतिक्रिया सदैव प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार.
बागी जी ,आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बाजारू संस्कृति की पोषक फेस बेल्यू ही है और उसी को सार्थक करती आपकी उम्दा लघु कथा,शत शत बधाई I
आदरणीया अर्चना तिवारी जी, सराहना और प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार.
शीर्षक को पूर्णतः सार्थक करती सफल लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर
"आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi सर बहुत ही सुन्दर लघुकथा, वाकई फेस वैल्यू का ज़माना है .... हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर !
प्रिय सोमेश जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार.
सुंदर व्यंग्य सर !कविता -मंच भी मनोरंजन की दुकाने हो रहे हैं और विज्ञापन में सब कुछ जायज़ है ,लघुकथा पर बधाई
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