भले ही दर्द हो कितना नहीं उसको भुलाना है
मुझे अब गम जमाने को नहीं अपना दिखाना है
मिटाये से नहीं मिटती न जाने याद क्यों उसकी
बनी तस्वीर है प्यारी जिगर में आज भी जिसकी
न हो जब पास वो मेरे लगे ये जिन्दगी वैसे
सजी हो चॉंद की महफिल न हो पर चॉंदनी जैसे
बता यह बात दुनिया को नही मुझको हँसाना है
मुझे अब गम जमाने को नहीं अपना दिखाना है
भले ही दर्द हो कितना नहीं उसको भुलाना है
बना कर नाँव कागज की चला मैं ढूढ़ने उसको
किया था प्यार बचपन से जवानी आने तक जिसको
न चलती नाँव कागज की हकीकत आज भूले हम
न लौटेगा कभी बचपन इसी का है मुझे अब गम
मगर अब ढूढ़ कर उसको मुझे अपना बनाना है
मुझे अब गम जमाने को नहीं अपना दिखाना है
भले ही दर्द हो कितना नहीं उसको भुलाना है
करे दिल याद उसको जब न थमते अश्क क्यों मेरे
कहे दिल आज भी उसको न है कोई सिवा तेरे
कभी मैं भेजना चाँहू लिखी जो प्यार की पाती
न उसका है पता मुझको न सपनो में कभी आती
कबूतर भी नहीं जिससे मुझे पाती पठाना है
मुझे अब गम जमाने को नहीं अपना दिखाना है
भले ही दर्द हो कितना नहीं उसको भुलाना है
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
कभी मैं भेजना चाँहू लिखी जो प्यार की पाती
न उसका है पता मुझको न सपनो में कभी आती
कबूतर भी नहीं जिससे मुझे पाती पठाना है
मुझे अब गम जमाने को नहीं अपना दिखाना है
भले ही दर्द हो कितना नहीं उसको भुलाना है
बहुत ही खूबसूरत!
आ0 भाई अखंड जी , सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई ।
आदरणीया डाक्टब्र प्राची सिंह जी आपका स्नेह और आशीर्वाद मिला रचना आपको अच्छी लगी रचना सफल हुई, नमन आपको
प्रेम में विरह दंश की इस अभिव्यक्ति पर बधाई प्रेषित है आ० अखंड गहमरी जी
आदरणीय सोमेश कुमार जी आपका स्नेह रचना को मिला नमन आपको
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपका स्नेह रचना को मिला नमन आपको
आदरणीय गणेश बागी जी आपका स्नेह और आशीर्वाद का फल है, रचना आपको अच्छी लगी रचना सफल हो गई, नमन आपको
आदरणीय हरि प्रकाश दूबे जी आप की स्नेह मिला रचना सफल हुई नमन आपको
न चलती नाँव कागज की हकीकत आज भूले हम
न लौटेगा कभी बचपन इसी का है मुझे अब गम
कभी मैं भेजना चाँहू लिखी जो प्यार की पाती
न उसका है पता मुझको न सपनो में कभी आती
सम्पूर्ण रचना सुंदर भावनावों का कलेवर है और जो बात अपने दिल की लगी वो मुद्रित कर दी |इस रचना पर हार्दिक बधाई
सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय गहमरी जी, रचना अच्छी लगी बधाई स्वीकार करें.
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