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सूरज का सातवा घोडा .....

आदित्य ,
तुम जीवन दाई हो
तुम्हारे ताप से जीवन चलता है
प्रेम भरा स्नेह मिलता है ,
समस्त धरा को ,
तूम दिनकर हो
रजनी को विदा करते हो
अनंत काल से ,
जीवन की मुस्कराहट आती है
तुम्हारे आगमन से ,
प्रभा आती है हरियाली में जिसके
ऊष्मीय स्नेह से प्रभाकर .,
दिन के नरेश ,  तुम्हारी सत्ता
धरती माँ को आभा देती है ,

खिलखाते है पुष्प .

फिर सोना उगले हरियाली ,

तुम्हारे ही तेज से ,भास्कर !

तुम समस्त जीवन हो 

इस  आकाश गंगा के 

तुम्हारा स्वागत है , नित 

मेरी धरती माँ की परिधि में ,

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Comment by aman kumar on January 15, 2015 at 11:27am

आशा जी और जवाहर लाल भाई का अभिनन्दन ..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 14, 2015 at 7:40pm

ॐ श्री सूर्याय: नम:  बिन सूरज सब कुछ निर्जीव सा है ...अच्छी प्रस्तुति अमन kumar जी!

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:42pm

तुम्हारे आगमन से ,
प्रभा आती है हरियाली में जिसके 
ऊष्मीय स्नेह से प्रभाकर  बहुत सुन्दर प्रभावशाली रचना सूरज की महत्ता को व्यक्त करती .. कुदरत की महिमा व्यक्त करती कविता  बधाई स्नेहिल अमन कुमार जी 

Comment by somesh kumar on January 14, 2015 at 2:49pm

अच्छी ,रचना |


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Comment by गिरिराज भंडारी on January 14, 2015 at 1:05pm

आ. अमन भाई , बढ़िया कविता लगी , कहीं कहीं टंकण त्रुटि है , सुधार लीजियेगा । रचना के लिये बधाई ।

Comment by aman kumar on January 14, 2015 at 12:54pm

दुबे जी का हार्दिक  आभार 

Comment by aman kumar on January 14, 2015 at 12:54pm

आदरणीय गोपाल जी के निर्देशन से सुधार किया गया है ,उनका अभिनन्दन 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 13, 2015 at 10:13pm

आदरणीय अमन जी ,सुन्दर प्रयास , सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 13, 2015 at 5:25pm

अमन जी

अच्छी  रचना है i शीर्षक का  निर्वाह भी आवश्यक होता है i   खिलखिलाते  का पुष्प  को सही कर लीजिये i  स्नेह i

Comment by aman kumar on January 13, 2015 at 3:24pm

वर्मा जी का  हार्दिक अभिनन्दन !

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