For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे!!  तुम्हारे जैसे गरीब अनाथ के झोपड़े में महात्मा गाँधी की तस्वीर...”

 

“हाँ! साहब,  अभी कुछ दिन पहले ही लोगों ने चौराहे पर इस तस्वीर को लगाकर.. मालायें पहनाई, खूब  जोर-शोर से भाषण-बाजी की. फिर इसे सब,  वहीं छोड़कर चले गये.. ये वहां बे-सहारा थे,  तो इन्हें अपने घर ले आया...”

 

 

     जितेन्द्र पस्टारिया

 

 (मौलिक व् अप्रकाशित)   

 

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:33pm

रचना पर आपकी स्नेहिल सराहना से ख़ुशी मिलती है आदरणीय सोमेश भाई जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:31pm

आदरणीय मिथलेश सर जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ. स्नेह बनाए रखियेगा.. सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2015 at 11:27am

आदरणीय जितेन्द्र भाई , आ. शिज्जु भाई जी की बात से मै भी सहमत हूँ , आज कल महापुरुषों के सिद्धांतों पर चलने के बजाये उन्हे  अपने स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बनाया जा रहा है ! आपके कथा जुछ इसी बात का इशारा कर रही है ! आपको इस सामाजिक कटाक्ष के लिए बधाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 26, 2015 at 11:13am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया सर, अपने सन्देश को संप्रेषित  करती प्रभावशील लघु कथा ,हार्दिक बधाई !

Comment by kanta roy on January 26, 2015 at 8:21am
महात्मा गाँधी जी अब सिर्फ फोटो और नोटों में ही सिमट कर रह गये है । जन जन के अंतर में वास करने वाले गाँधी जी के सिद्धांत अब किताबों में छपी हुई महज एक पंक्ति के सिवा कुछ ना रहा । नैतिक पतन के दौर में सम्मान महज एक दिखावा बनकर रह गया है । अर्थपूर्ण कथा के लिए बधाई आ.जितेन्द्र पस्टारिया जी आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 26, 2015 at 8:05am

कटु मगर सत्य जिस व्यक्ति ने अपना जीवन दूसरों को समर्पित कर दिया लोग अब उनके सिद्धांतों पर चलने के बजाये उनके नाम पर स्वार्थ साधने में लगे हैं। आदरणीय जितेन्द्र जी बहुत बहुत बधाई इस लघुकथा के लिये

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 25, 2015 at 10:09pm
ये वहां बे-सहारा थे, तो इन्हें अपने घर ले आया..
समाज पर सुन्दर कटाक्ष करती रचना। बधाई आदरणीय जितेन्द्र पस्टारियारियाजी
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2015 at 7:46pm
सही प्रस्तुति, अच्छे लोग, अच्छे विचार, सबसे अधिक बेसहारा हैं ,
बधाई , प्रिय जीतेन्द्र जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 25, 2015 at 5:35pm

बहुत सुन्दर प्रभावशील लघु कथा ,हार्दिक बधाई जीतेन्द्र भैय्या.  

Comment by विनोद खनगवाल on January 25, 2015 at 5:19pm
आदरणीय जितेंद्र पस्टारिया जी। ये तस्वीर की दुर्गती नहीं बल्कि गांधी जी के विचारों की भी तौहीन है। बहुत बढिया लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service