For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

॥ मै ईश्वर नहीं ॥ अतुकांत रचना ( गिरिराज भंडारी )

॥ मै ईश्वर नहीं ॥
**********
मै ईश्वर नहीं
किसी ईश्वरीय व्यवहार की उम्मीदें न लगायें
मै तो क्या कोई भी चाहे तो ईश्वर नहीं हो सकता

बस दूसरों में ईश्वरीय गुण खोजने में लगे रहते हैं
हम , आप , सब

इसलिये, आज
ये ऐलान है मेरा ,
मुझमें केवल इंसानी गुण ही हैं
अच्छों से उनसे अधिक अच्छा
बुरों से भरसक बुरा

उनके व्यवहार के प्रत्युत्तर में भेज रहा हूँ
कुछ दिल से निकली मौन गालियाँ
कुछ आत्मा से निकली बद दुआयें
जिसमें नत्थी है उनके व्यवहार की
एक छाया प्रति

इस सीख के साथ ,
क़समें खिला के ,
कि अगर अस्वीकृत कर दिये गये तो वापस न लौटें
घूमते रहें वहीं कहीं
आसपास ,
किसी मौके की तलाश में
उनके दिलो दिमाग मे घुस जाने के लिये
जिसके कि वो हक़दार हैं
******************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 13, 2015 at 4:04pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब 

उनके व्यवहार के प्रत्युत्तर में भेज रहा हूँ 
कुछ दिल से निकली मौन गालियाँ 
कुछ आत्मा से निकली बद दुआयें 
जिसमें नत्थी है उनके व्यवहार की 
एक छाया प्रति..क्या बात है ..इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 13, 2015 at 7:55am

आदरणीय बड़े भाई , गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 13, 2015 at 7:46am

आदरणीया राजेश जी , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 12, 2015 at 11:49am

अनुज

क्या बात है i अति सुन्दर i  सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2015 at 11:08am

वाह शब्द और भाव लक्ष्य भेदी बाण की तरह ...सफलता मिलेगी ही ,बहुत सुन्दर प्रस्तुति दिल से बधाई आपको| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 12, 2015 at 7:55am

आदरणीय खुर्शीद भाई , रचना की सराहना के लिये आपका बहुत आभार ।

Comment by khursheed khairadi on February 12, 2015 at 12:50am

कि अगर अस्वीकृत कर दिये गये तो वापस न लौटें 
घूमते रहें वहीं कहीं 
आसपास , 
किसी मौके की तलाश में 
उनके दिलो दिमाग मे घुस जाने के लिये 
जिसके कि वो हक़दार हैं 

आदरणीय गिरिराज सर ,सुन्दर प्रस्तुति है |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 11, 2015 at 12:47pm

आदरणीया उषा जी , हौसला अफज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 11, 2015 at 9:10am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, अति सुन्दर रचना के लिए बधाई। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 11, 2015 at 8:38am

आदरणीय समर भाई , हौसला अफज़ाई का दिली शुक्रिया ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service