॥ मै ईश्वर नहीं ॥
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मै ईश्वर नहीं
किसी ईश्वरीय व्यवहार की उम्मीदें न लगायें
मै तो क्या कोई भी चाहे तो ईश्वर नहीं हो सकता
बस दूसरों में ईश्वरीय गुण खोजने में लगे रहते हैं
हम , आप , सब
इसलिये, आज
ये ऐलान है मेरा ,
मुझमें केवल इंसानी गुण ही हैं
अच्छों से उनसे अधिक अच्छा
बुरों से भरसक बुरा
उनके व्यवहार के प्रत्युत्तर में भेज रहा हूँ
कुछ दिल से निकली मौन गालियाँ
कुछ आत्मा से निकली बद दुआयें
जिसमें नत्थी है उनके व्यवहार की
एक छाया प्रति
इस सीख के साथ ,
क़समें खिला के ,
कि अगर अस्वीकृत कर दिये गये तो वापस न लौटें
घूमते रहें वहीं कहीं
आसपास ,
किसी मौके की तलाश में
उनके दिलो दिमाग मे घुस जाने के लिये
जिसके कि वो हक़दार हैं
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज भाईसाब
उनके व्यवहार के प्रत्युत्तर में भेज रहा हूँ
कुछ दिल से निकली मौन गालियाँ
कुछ आत्मा से निकली बद दुआयें
जिसमें नत्थी है उनके व्यवहार की
एक छाया प्रति..क्या बात है ..इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर
आदरणीय बड़े भाई , गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आभारी हूँ ।
आदरणीया राजेश जी , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
अनुज
क्या बात है i अति सुन्दर i सादर i
वाह शब्द और भाव लक्ष्य भेदी बाण की तरह ...सफलता मिलेगी ही ,बहुत सुन्दर प्रस्तुति दिल से बधाई आपको|
आदरणीय खुर्शीद भाई , रचना की सराहना के लिये आपका बहुत आभार ।
कि अगर अस्वीकृत कर दिये गये तो वापस न लौटें
घूमते रहें वहीं कहीं
आसपास ,
किसी मौके की तलाश में
उनके दिलो दिमाग मे घुस जाने के लिये
जिसके कि वो हक़दार हैं
आदरणीय गिरिराज सर ,सुन्दर प्रस्तुति है |सादर अभिनन्दन |
आदरणीया उषा जी , हौसला अफज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, अति सुन्दर रचना के लिए बधाई।
आदरणीय समर भाई , हौसला अफज़ाई का दिली शुक्रिया ॥
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