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आ. दिनेश कुमार जी मन को छूने वाली इस अच्छी गजल पर आपको हार्दिक बधाई |
क्या बात है ! दिनेश भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है इस कठिन बह्र में ॥
न तो रास्तों की तलाश है, न ही मन्ज़िलों की तलाश है
जो सँवार दें मेरी रहगुज़र , उन्हीं रहबरों की तलाश है
मुझे आज पढ़नी है इक ग़ज़ल, जो हर इक नज़र में हो लाजवाब
है रदीफ़ मुझको दिया हुआ, मुझे क़ाफ़ियों की तलाश है -- बहुत खूब सूरत शे र हुये हैं । बधाई आदरणीय ॥
है हमारे बीच जो राब्ता ----- ये शेर भी बढिया है पर राब्ता को 212 नहीं पढ सकते , मेरे खयाल से वास्ता कर लेना चहिये , या अस्ल हर्फ शायद राबिता है , अगर ऐसा है ति यही लिख लें ॥ जैसा आप उचित समझें ॥
दिनेश जी
क्या उम्दा गजल लेकर आये है i मोटी पिरोया हुई आपने i गुनीजन आपकी अनुशंसा करें i सादर i
कभी वाइज़ों से मिला नहीं, कोई काम उनसे पड़ा नहीं
मुझे शौक दुख़्तरे रज़ का है, मुझे मैकदों की तलाश है
मुझे आज पढ़नी है इक ग़ज़ल, जो हर इक नज़र में हो लाजवाब
है रदीफ़ मुझको दिया हुआ, मुझे क़ाफ़ियों की तलाश है
उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय दिनेश जी ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें |सादर
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