For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आम्र मंजरी झूमती ,मादक महके बाग

-हर्षित कोयल कूकती,बौराया सा काग ।

 

बाबा देवर बन गए, फागुन में वो बात

ललचाये हर बाल मन,रंगों की बारात ।

 

नई कोपलें भर रहीं,जीवन में मकरंद

लहक रही मद कामनी,उर में भर आनंद ।

 

लाल टिकुलिया चाँद सी,कजरारे से नैन

बतियाने पनघट लगे ,फागुन गाती रैन ॥    

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2015 at 12:23pm

वैसे तो मेरी टिप्पणी दिख नहीं रही, आदरणीया कल्पनाजी, किन्तु, आपकी स्वीकृति हमें भी सचेत और आश्वस्त रखती है. यों, मेरे कहे का हेतु पूर्ण हो गया है.
सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:22am

आ० maharshi tripathi जी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:22am

आ०  khursheed khairadi  जी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:21am

आ०  मिथिलेश वामनकर जी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:21am

आ० Hari Prakash Dubey जी आभार  

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:20am

आ० जितेंद्र भाई जी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:20am

आ० सौरभ जी आप ने सही कहा टिकुलिया गलती से गलत लिख गया है सही कर देती हूँ आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on February 25, 2015 at 11:18am

आ० सौरभ जी ,आप ने सही कहा लिखने में गलती हुई है आप का बहुत आभार /सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 10:40am

फाल्गुन माह पर बहुत सुंदर दोहावली प्रस्तुति, आदरणीया कल्पना दीदी. हार्दिक बधाई आपको

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 10:22am

आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई  जी ,सुन्दर दोहावली,

लाल टिकुलीया चाँद सी,कजरारे से नैन

बतियाने पनघट लगे ,फागुन गाती रैन ॥  ..वाह , हार्दिक बधाई आपको ! सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
7 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
7 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
7 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
7 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
7 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service