दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों ?
इतना मुझे बता दे मुझसे हिज़ाब क्यों?
साकीं यह सुना तू है मदिरा का सागर
लाखों को तूने तारा मुझको जवाब क्यों?
मेरे गुनाह लाखों होंगे ये मैंने है माना
गैरों से कुछ न पूछा मुझसे हिसाब क्यों?
तूने जिसको अपनाया उसको खुदा बनाया
उनका नसीब है अच्छा मेरा खराब क्यों?
छोटी सी ये हस्ती में है कुल कमाल तेरा
बेहद का है तू दरीया फिर मैं हुबाब क्यों?
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित”
Comment
आदरणीय मिथिलेश भाई ,बहुत बहुत आभार आपका आपने अपना अमूल्य समय इस रचना को दिया , अब धीरे -धीरे समझ आ रहा है ! सादर !
आदरणीय हरिप्रकाश भाई जी, आपने जो मुशायरे की बह्र पर ये ग़ज़ल कही है दरअसल बह्र के अनुसार कुछ यूं होगी-
1212 - 1122 - 1212 - 22
जो दिल में आप के हम है नकाब क्यों बोलो
हमें बता भी दो ऐसा हिजाब क्यों बोलो ( जहाँ अंडरलाइन है मात्रा गिराई गई है यानी गुरु-2 को लघु-1 किया गया है )
मेरे हिसाब से आपकी रचना के मिसरों को इस बह्र में कहने से ग़ज़ल अधिक लयात्मक होगी -
221-2121-1221-212
ऐ दिल में रहने वाले मुझी से नकाब क्यों ?
इतना मुझे बता दे मुझी से हिज़ाब क्यों? ( जहाँ अंडरलाइन है मात्रा गिराई गई है यानी गुरु-2 को लघु-1 किया गया है )
आदरणीय शिज्जु भाई जो ने जो बह्र सुझाई है उसमे इस ग़ज़ल को बिठा सकते है बस थोड़ा शब्द संयोजन कर लयात्मकता भर ले आये.
22- 22 – 22 - 22 - 22 – 2
दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों ?
इतना मुझे बता दे मुझसे हिज़ाब क्यों?
सादर
आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी रचना पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए आपका हार्दिक आभार , सादर !
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब , आपकी रचना पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए आपका हार्दिक आभार , सादर !
आदरणीया राजेश कुमारी जी , बहुत बहुत धन्यवाद ,आपकी प्रतिक्रिया ने और आपके मार्गदर्शन ने उत्साहित किया, आभार आपका ! बह्र को लेकर मैंने अपनी बात पूरी इमानदारी से रख ही दी है, सादर !
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर आप जैसे विद्वान् लोगों के सामने ये एक तुच्छ प्रयास है ,आपकी सह्रय्द्यता आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! अभी सर मुझे आप जैसे विद्वानों से ही सीखना है ,बह्र का मुझे वास्तव में तकनीकी ज्ञान नहीं है ,बस एक लहर में लिख दिया , आगे सचेत रहूँगा ! सादर
आदरणीय खुरशीद भाईसाहब आपकी उत्साहवर्धक टिपण्णी से मन प्रसन्न हो गया , आपका हार्दिक आभार , सादर !
आदरणीय अरुण कुमार निगम जी आपका हार्दिक आभार ! सादर
आदरणीय उमेश कटारा जी , ग़ज़ल पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर
आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर ,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर
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