राष्ट्रधर्म ही सार है, राष्ट्रधर्म ही मूल ,
लेशमात्र सन्देह भी, कर देगा सब धूल !
रहे राष्ट्र के प्यार में, मानव का हर कृत्य,
रोम–रोम में राष्ट्रहित, क्या अफसर क्या भृत्य !
राष्ट्रघात या द्रोह से, जग में प्रलय दिखाय,
राष्ट्रप्रेम वह शक्ति है, विश्वविजय हो जाय !
राष्ट्र इतर अस्तित्व सब, समझो है बेजान ,
राष्ट्र रहे तो सब रहे, आन बान औ शान !
लहू बहा दो राष्ट्रहित, और बहा दो स्वेद,
प्राण जाय गर राष्ट्रहित, तो भी क्या है खेद !
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
देश भक्ति की भावना से लबरेज दोहे बहुत सुन्दर ..आ० डॉ० गोपालनारायण जी के मार्गदर्शन से दोहे और निखर उठे |
बहुत बहुत बधाई आपको हरि प्रकाश दूबे जी
राष्ट्र प्रेम से ओत-प्रोत दोहे पढ़कर संतुष्टि हुई! ये भावनाएं हम सभी के दिलों में होनी चाहिए.. सादर !
बहुत सुंदर और भावपूर्ण दोहों के लिए बधाई | शेष आद औरभ पाण्डेय जी और दो गोपाल नारायण जी ने महत्त्व पूर्ण टिप्पणियाँ की है जिन्हें संज्ञान में लेना चाहिए | सादर
राष्ट्र इतर अस्तित्व सब, समझो है बेजान ,
राष्ट्र रहे तो सब रहे, आन बान औ शान !
लहू बहा दो राष्ट्रहित, और बहा दो स्वेद,
प्राण जाय गर राष्ट्रहित, तो भी क्या है खेद !
आदरणीय हरिप्रकाश जी सर ,सुन्दर दोहावली है |हार्दिक बधाई स्वीकार करें |सादर अभिनन्दन |
आदरणीय राष्ट्र प्रेम को दर्शाते इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई।
लहू बहा दो राष्ट्रहित, औ बहा दो स्वेद,
प्राण जाए गर राष्ट्रहित, तो भी क्या है खेद ,,,,,,,,देश हित को समर्पित इन दोहों पर आपको हार्दिक बधाई . हरिप्रकाश जी |
1 आ० हरि प्रकाश जी
आपसे कुछ बाते साझा करना चाहता है -
राष्ट्रघात और द्रोह से, जग में प्रलय दिखाय,------बोल्ड में 14 मात्राएँ हैं - मात्र तेरह चाहिए i और को औ अथवा या कह सकते है
राष्ट्रप्रेम वह शक्ति है, विश्वविजय हो जाय !
राष्ट्र इतर अस्तित्व सब, समझो है बेजान ,
राष्ट्र रहे तो सब रहे, आन बान और शान !,------बोल्ड में 1 मात्राएँ हैं - ग्यारह चाहिए---और को औ कर सकते हैं
लहू बहा दो राष्ट्रहित, औ बहा दो स्वेद, ,------बोल्ड में 10 मात्राएँ हैं - ग्यारह चाहिए---औ को और कर सकते हैं
प्राण जाए गर राष्ट्रहित, तो भी क्या है खेद ! ,------बोल्ड में 14 मात्राएँ हैं - मात्र तेरह चाहिए--- 'जाए' चार मात्रा है 'जाय' कर सकते हैं
सादर
रचना आपका आशीर्वाद पाकर धन्य हुई, आदरणीय डा.विजय शंकर सर , अपना आशीर्वाद बनाए रखियेगा सादर !
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