कैसा यह ---
जिसे विश्व कहता है
बलात्कारो का देश
जिसकी राजधानी को
रेप सिटी कहते हैं
जिस देश में आंकड़े बताते है
हर बीस मिनट पर
होता है एक रेप
जहां के सांसद और विधायक
अभियुक्त है
अनेक हत्या और बलात्कार के
जिन पर होती नहीं कोई कार्यवाही
जहां बलात्कार के बाद होती है हत्या
जहाँ तंदूर में जलाई जाती है नारी
जहाँ रेप के बाद निकली जाती है आँखे
जहाँ निर्भया की चीखती है अतडियाँ
जहा प्रतिबन्धित होती है ‘’इंडिया’ज डाटर ‘’
जहाँ कडवे फैसले
सुप्रीम कोर्ट में हो जाते है दफ़न
जहाँ सच्चे आन्दोलन का होता है दमन
जहाँ का प्रशासन बनाता है खोखले क़ानून
जहाँ सारे पाठ, सारी हिदायते है
केवल बेटियों के लिए
जहाँ बंधन है, मर्यादा है, इज्जत है
सिर्फ लडकियो के लिए
जहाँ लज्जा एक आभूषण है
सिर्फ महिलाओं के लिए
जिनका माहात्म्य हम सास्वर गाते है
कभी देवी कभी सीता कभी लक्ष्मी बत्ताते है
रात भर जाग जयकारा लगाते हैं
कवियों के लिए जो सुकुमारी श्रद्धा है
वह भारत की बेटी है
अभी-अभी चिता पर लेटी है
क्योकि बीस मिनट पहले ही
उसका हुआ है बलात्कार
जिसने छीना है उससे जीने का अधिकार
हम अभी उसकी अस्थियाँ बहायेंगे
आंसू टपकायेंगे, नारे लगायेंगे
कल भूल जायेंगे
परसों से ढूढेंगे फिर नया शिकार ---
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
आ० विनय जी i
सही कहा अपने i सादर i
आत्ममुग्ध पुरुष प्रधान समाज के चरित्र को बिना वाशिंग पाउडर के धोती हुई समसामयिक रचना पर हार्दिक बधाई |
आदरणीय बहुत दुःख की बात है और जैसे मैंने कहीं लिखा था .....
शासन ने अन्याय का दौर चला रखा है
रिश्वतखोरी से समाज को डराने का रिवाज बना रखा है
कानून को महज़ एक मजाक बना रखा है .....
आप की रचना की सच्चाई दिल तक लगती है लेकिन भारत सोया है और केवल कोई क्रांति ही इसे बदल सकती है ...
रचना के लिये बधाई स्वीकार करें
अभिनन्दन!! अभिनन्दन!! अभिनन्दन!! इस धारदार रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय!सर्वथा सत्य बोलती रचना!!
बहुत उम्दा , कड़वी हक़ीक़त हमारे समाज की | काश कि हम सिर्फ दिखावे के लिए पूजा न करें बल्कि हक़ीक़त में भी इसे अपनाएं | दिन विशेष पर इस शशक्त प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई..
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