For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर..........

बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर

हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी ,
ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर

सुबह से हो गयी शाम और अब रात भी
पैर हैं कि थकने का , नाम नहीं लेते , मगर

वो खरीददार है , कोई क़ीमत भी दे सकता है
अभी आया है कहाँ , वो मेरी चौखट पे , मगर

करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय"
सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर

अजय कुमार शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 9:00am

आदरणीय अजय जी ,सुन्दर भावपूर्ण ग़ज़ल हुई है |मतले को देखने पर काफ़िया किस्मत\ज़रुरत (अत) है ,,और रदीफ़ ..पे मगर है .....इसी का निर्वहन सभी अशआर में होता तो मज़ा आ जाता (बहर \वज़न की पर गौर अभी नहीं कर रहा हूं )...आ.अजय जी ...अन्यथा न लें .....स्नेह बनाए रखें |सादर .

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 11, 2015 at 11:08pm
बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर
वाह ,आदरणीय अजय शर्मा जी , बहुत ही प्रभावशाली ग़ज़ल , बधाई , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2015 at 10:50pm

बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर  वाह! वाह!

हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी ,
ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर       लाजव़ाब!

हादिक बधाइयाँ आ० अजय जी

Comment by ajay sharma on March 11, 2015 at 9:57pm

bahut khushnasibi hai meri ki apko rachna pasand aayi

Comment by maharshi tripathi on March 11, 2015 at 5:43pm

करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय" 
सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर आपको हार्दिक बधाई आ.अजय शर्मा जी |

Comment by विनय कुमार on March 11, 2015 at 1:38pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय..

Comment by Shyam Mathpal on March 11, 2015 at 1:30pm

Aadarnya Ajay Ji

Sundar rachana ke liye badhai.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 11, 2015 at 12:34pm

अजय शर्मा जी

बहुत बढ़िया गजल हुयी i सादर i

Comment by Hari Prakash Dubey on March 11, 2015 at 10:13am

आदरणीय अजय जी , सुन्दर प्रयास पर बधाई प्रेषित ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service