बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर
हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी ,
ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर
सुबह से हो गयी शाम और अब रात भी
पैर हैं कि थकने का , नाम नहीं लेते , मगर
वो खरीददार है , कोई क़ीमत भी दे सकता है
अभी आया है कहाँ , वो मेरी चौखट पे , मगर
करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय"
सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर
अजय कुमार शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अजय जी ,सुन्दर भावपूर्ण ग़ज़ल हुई है |मतले को देखने पर काफ़िया किस्मत\ज़रुरत (अत) है ,,और रदीफ़ ..पे मगर है .....इसी का निर्वहन सभी अशआर में होता तो मज़ा आ जाता (बहर \वज़न की पर गौर अभी नहीं कर रहा हूं )...आ.अजय जी ...अन्यथा न लें .....स्नेह बनाए रखें |सादर .
बद -गुमानी थी मुझे क़िस्मत पे , मगर
मैं अज़ीज़ सबका था , ज़रूरत पे , मगर वाह! वाह!
हज़ार बार मुझे टोंका उसने , सलाह दी ,
ख़याल आया मुझे उसका , ठोकर पे , मगर लाजव़ाब!
हादिक बधाइयाँ आ० अजय जी
bahut khushnasibi hai meri ki apko rachna pasand aayi
करो गुस्सा या कि नाराज़ हो जायो "अजय"
सितम जो भी करो , करो खुद पे , मगर,,,,,,,,,,बहुत सुन्दर आपको हार्दिक बधाई आ.अजय शर्मा जी |
बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय..
Aadarnya Ajay Ji
Sundar rachana ke liye badhai.
अजय शर्मा जी
बहुत बढ़िया गजल हुयी i सादर i
आदरणीय अजय जी , सुन्दर प्रयास पर बधाई प्रेषित ! सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online