2122 2122 212
********************
फिर चिरागों को बुझाने ये लगे
रास्ता तम का सजाने ये लगे
****
प्रेत अफजल औ' कसाबों के यहाँ
कुर्सियाँ पाकर जगाने ये लगे
****
साजिशें रचते मरे हैं जो उन्हें
देश भक्तों में गिनाने ये लगे
****
देश के गद्दार जितने बंद हैं
राजनेता कह छुड़ाने ये लगे
****
बनके अपने आज खंजर देख लो
आस्तीनों में छुपाने ये लगे
****
हौसला दहशतगरों का यार यूँ
घर के भीतर ही बढ़ाने ये लगे
****
है नहीं कश्मीर भारत देश में
बात फिर से बस जताने ये लगे
****
पाप इनको यार ‘बंदे मातरम’
'पाक जिंदाबाद’ गाने ये लगे
****
जाग जाओं जाँनिसारों जल्द अब
जाफरों के गीत गाने ये लगे
****
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’
Comment
एक ऐसी प्रस्तुति जिसका अपना लिहाज है. कश्मीर की पृष्ठभूमि में जो कुछ हो रहा है उसकी बात अपने ढंग से ऐसी भी. अब समय ही बतायेगा कौन कितना सही था.
ग़ज़ल पर दाद कुबू करें भाईजी
धामी!! सर जी आपकी इस गजल पर जांनिसार! क्या कश्मीर के हालत को अपने उतारा है साहेब! लाजवाब! अभिनन्दन!
वाह !!!हर शेर काबिले तारीफ है ,,,बहुत सुन्दर आ.लछमन धामी जी |
Aadarniya Dhami Ji,
Aaj jo kashmir main halat hain, us sandharbh main ek samayik rachna. Badhai.
dhaamee jee
सुन्दर, सामयिक ,बेहतरीन i स्नेह i
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online