For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत लगाव था अपने ज़मीन के इस टुकड़े से रघू को , ये आखिरी जो था | पत्नी की बीमारी में एक एक करके सभी जमीनें गिरवी रखता गया था , इस उम्मीद में की जब वो ठीक हो जाएगी तो दोनों मियां बीबी मिलकर , पसीना बहाकर , छुड़ा लेंगें उन्हें | लेकिन जैसे जैसे ज़मीन के टुकड़े कम होते गए , पत्नी की सांसें भी कम होती गयीं |
आखिरी वक़्त में पत्नी ने वचन लिया था कि अब वो किसी भी सूरत में ज़मीन के इस आखिरी टुकड़े को नहीं बेचेगा | जिंदगी किसी तरह गुजर रही थी लेकिन उसकी ज़मीन पर एक उद्योगपति की नज़र पड़ गयी | वहाँ फैक्ट्री लगाने के लिए वो अगल बगल ज़मीनें खरीद रहा था | पर उसके लिए तो वो टुकड़ा अमानत थी किसी को दिए हुए वचन की लिहाज़ा उसने स्पष्ट इंकार कर दिया |
कल उसने पडोसी चाचा के घर टी वी में देखा कि इस नए कानून की बारे में चर्चा हो रही थी | उसने पूछा " क्या अब हमारी ज़मीनें हमारी मर्ज़ी के बिना भी छीनी जा सकती है चाचा "|
चाचा ने गहरी साँस लेते हुए कहा " हमारी जमीने बचती ही कब हैं रघू , लेकिन इस कानून ने तो बची खुची उम्मीदें भी तोड़ दी | शायद किसान के घर में पैदा होना ही हमारा गुनाह है , हम तो लोगों को अन्न देते हैं और लोग हैं कि अपना ही निवाला छीनने पर लगे हैं "|
रघू ख़ामोशी से उठा और अपने घर आ गया | रात बहुत देर तक वो बेचैनी से करवट बदलता रहा | सुबह लोगों ने देखा , रघू अपने खेत में निर्जीव पड़ा था |

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on March 14, 2015 at 10:17am

बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | आपने बिलकुल सच कहा..

Comment by विनय कुमार on March 13, 2015 at 11:07pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 13, 2015 at 6:18pm

बहुत मार्मिक लघु कथा एक श्रमिक एक कृषक की आत्मा की आवाज है ये ,बहुत बहुत बधाई आपको विनय कुमार जी .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 13, 2015 at 4:09pm

भूमि अधिग्रहण बिल को को लेकर रची सुंदर व्यंग करती लघु कथा के लिए बधाई 

Comment by विनय कुमार on March 13, 2015 at 10:45am

बहुत बहुत आभार आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी | यही तो सच्चाई है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 9:16am

वाह विनय कुमार सिंह जी आपकी ये रचना यथार्थ का आईना है कि किस तरह अपने स्वार्थ के चलते गरीबों के अरमानों को उनके जीवन को कुचल दिया जाता है। बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by विनय कुमार on March 12, 2015 at 10:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी | ज्वलंत मुद्दा है ये इस समय..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 12, 2015 at 8:52pm

वर्तमान भूमि अधिग्रहण बिल अचूक निशाना! 

Comment by विनय कुमार on March 12, 2015 at 8:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2015 at 8:06pm

बहुत भावनात्मक प्रस्तुति. दिल को छू गई आपकी यह लघुकथा भी. बहुत-२ बधाई आदरणीय विनय जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service