For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सदा पर्वत से ऊँचा हौसला रखना

बह्र : १२२२ १२२२ १२२२

 

पड़े चंदन के तरु पर घोसला रखना

तो जड़ के पास भूरा नेवला रखना

 

न जिससे प्रेम हो तुमको, सदा उससे

जरा सा ही सही पर फासला रखना

 

बचा लाया वतन को रंगभेदों से

ख़ुदा अपना हमेशा साँवला रखना

 

नचाना विश्व हो गर ताल पर इनकी

विचारों को हमेशा खोखला रखना

 

अगर पर्वत पे चढ़ना चाहते हो तुम

सदा पर्वत से ऊँचा हौसला रखना

-------

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2015 at 5:14am

आदरणीय धर्मेन्द्रजी, आपका नये खयालों से कौतुक करना रुचता तो है ही हमें आपकी ऐसी प्रस्तुतियों की प्रतीक्षा भी रहती है.

इस ग़ज़ल के मतले ने देर तक अपनी कहन के ज़ोर पर बाँधे रखा. क्या बात है साहब ! मतलेके भूरे नेवले ने कमाल किया हुआ है !

ऐसा ही शेर है
बचा लाया वतन को रंगभेदों से
ख़ुदा अपना हमेशा साँवला रखना !
भाई वाह ! ख़ुदा को रंगों से सजाना रोमांचित कर रहा है.

इस ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल कीजिये.

Comment by Shyam Narain Verma on March 17, 2015 at 3:50pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!
Comment by Nidhi Agrawal on March 17, 2015 at 3:17pm

बहुत सुन्दर रचना हुई आपकी 

नचाना विश्व हो गर ताल पर इनकी

विचारों को हमेशा खोखला रखना --क्या बात 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 17, 2015 at 11:41am

अगर पर्वत पे चढ़ना चाहते हो तुम

सदा पर्वत से ऊँचा हौसला रखना  -- लाजवाब बात कही !! आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , ग़ज़ल भी खूब कही है , बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 17, 2015 at 10:16am

वाह वाह आदरणीय धर्मेन्द्र जी बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई निवेदित है 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 10:14pm
हौसलों के लिए
बच्चा बन के रहना ,
नज़र चन्दा मामाँ पे
पैर जमीन पे रखना ॥
बधाई , आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार जी, सादर।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 16, 2015 at 9:26pm

वाह वाह, बहुत सुन्दर, अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकारें.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 16, 2015 at 8:32pm

अगर पर्वत पे चढ़ना चाहते हो तुम

सदा पर्वत से ऊँचा हौसला रखना---------बहुत सुन्दर धर्मेन्द्र जी  सादर .

Comment by Shyam Mathpal on March 16, 2015 at 7:04pm

Aadarniya Dharmendra Kumar singh ji,

अगर पर्वत पे चढ़ना चाहते हो तुम

सदा पर्वत से ऊँचा हौसला रखना -  Kya kahne.. bahut sundar.... badhai.

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 7:01pm

आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी बहुत सुन्दर ,

अगर पर्वत पे चढ़ना चाहते हो तुम

सदा पर्वत से ऊँचा हौसला रखना........वाह , बधाई आपको इस रचना पर ! सादर"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service