2122 1212 22
ज़िन्दगी दी ख़ुदा ने प्यारी है
चाहतें पर बहुत उधारी है
इस तरफ़ हम खड़े उधर अरमाँ
बेबसी बस लगी हमारी है
ख़्वाब तो रोज़ ही बुनें, लेकिन
हर हक़ीकत लिये कटारी है
ख़र्च का क़द बढ़ा है रोज़ मगर
रिज़्क की शक़्ल माहवारी है
रिश्ते बदशक़्ल हो गये अपने
पेट की आग सब से भारी है
फुनगियों में लटक रहे अरमाँ
कोई सीढ़ी नहीं , न आरी है
तिश्नगी अश्क़ भी पिये कैसे
आँसुओं की नदी भी खारी है
ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से
मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है
कोई मर जाये, गर कभी जी ले
ज़िन्दगी मैनें जो गुज़ारी है
ज़िन्दगी फिर भी जी रही है तू
बस यही बात तेरी प्यारी है
****************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
फुनगियों में लटक रहे अरमाँ
कोई सीढ़ी नहीं , न आरी है
तिश्नगी अश्क़ भी पिये कैसे
आँसुओं की नदी भी खारी है
ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से
मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है YUN TO HER SHER UMDA BHAEE JEE - PER YE TEEN KHAAS - JINKA KOEE JAWAAB NAHEE - BADHEE
तिश्नगी अश्क़ भी पिये कैसे
आँसुओं की नदी भी खारी है
ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से
मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है
वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय
ऐ ख़ुदा ! सिर्फ ग़म की कूँची से
मेरी तस्वीर क्यूँ उतारी है
कोई मर जाये, गर कभी जी ले
ज़िन्दगी मैनें जो गुज़ारी है
इस सुंदर गजल पर सादर बधाई आपको आ. गिरिराज भंडारी सर जी |
बहुत सुन्दर गज़ल हुई आ० गिरिराज सर ..सादर बधाई स्वीकारें
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई! |
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर, शानदार रचना , हार्दिक बधाई आपको , सादर !
आदरणीय अजय भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये हृदय से आभारी हूँ ॥
आदरणीय निर्मल भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ॥ आपका इशारा समझ गया हूँ , आवश्यक सुधार ज़रूर करूँगा ॥ आपका बहुत शुक्रिया ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online