For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गौरैया दिवस पर कुछ दोहे

आँगन के ऊपर बना ,सरिया का आकाश
दाना नीचे है पड़ा खा पाती मैं काश ॥

अंबर पर उड़ते मिले ,चतुर सयाने बाज
जीवन कितना है कठिन ,हम जैसों का आज ॥ 

सूरज दादा भी तपें ,करें गज़ब का खेल
सूख गए वन बावड़ी,बची न कोई बेल ॥

एक दिवस में क्या मिले,कैसे रखलूँ धीर
सोच सोच ये बात को,मन में उठती पीर ॥

मन करता है आज भी,आँगन फुदकूँ जाय
झूला झूलूँ तार पर......मुन्नी लख हर्षाय ॥

अप्रकाशित व मौलिक 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on March 26, 2015 at 9:21am

आदरणीय vijay nikore सर आप का हार्दिक आभार /सादर 

Comment by vijay nikore on March 24, 2015 at 11:03am

बहुत ही सुन्दर दोहे। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 23, 2015 at 8:56am

आदरणीया कल्पना जी बहुत सुन्दर दोहावली हुई है. गौरैया के बहाने से कुछ विशिष्ट बातें साझा हुई है. इस सार्थक दोहावली के लिए बहुत बहुत बधाई . 

इस दोहे में कमाल की व्यापकता है 

एक दिवस में क्या मिले,कैसे रखलूँ धीर 
सोच सोच ये बात को,मन में उठती पीर ॥

सोच सोच ये बात को के स्थान पर सोच सोच इस बात को किया जाये तो कैसा रहेगा. मेरे निवेदन पर विचारिएगा. सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 23, 2015 at 8:12am

आ0 Hari Prakash Dubey जी आप का आभार /सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 23, 2015 at 12:36am

आदरणीया कल्पना मिश्रा जी ,सुन्दर दोहे ,सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई आपको ! सादर 

एक दिवस में क्या मिले,कैसे रखलूँ धीर 
सोच सोच ये बात को,मन में उठती पीर ॥....बहुत सुन्दर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 22, 2015 at 10:12pm

आ० Er. Ganesh Jee "Bagi" सर हार्दिक आभार /सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 22, 2015 at 8:45pm

आदरणीया कल्पना जी, सभी दोहें एक से बढ़कर एक लगें, एक दोहा कोट करना चाहूँगा जिसका विस्तार बहुत ही व्यापक है, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.

एक दिवस में क्या मिले,कैसे रखलूँ धीर 
सोच सोच ये बात को,मन में उठती पीर ॥

Comment by kalpna mishra bajpai on March 21, 2015 at 9:48pm

आ०  maharshi tripathi जी आभार आप का 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 21, 2015 at 9:47pm

आ० Shyam Narain Verma सर आभार आप का 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 21, 2015 at 9:47pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर मांफ़ी चाहती हूँ ./ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service