नीली बत्ती की एक अम्बेसडर कार तेजी से आकर रुकी और ‘साहब’ सीधा निकलकर अपने केबिन में चले गए ! पीछे – पीछे ‘बड़े-बाबू’ भी केबिन की तरफ भागे ! तभी एक आवाज आई ,“ क्या बात है ‘बड़े-बाबू’ बड़े पसीने से लतपथ हो , कहाँ से आ रहे हो ?”
“ पूछो मत ‘नाज़िर भाई’ , नए ‘साहब’ के साथ गाँव- गाँव के दौरे पर गया था, राजा हरिश्चंद्र टाईप के लग रहें हैं, मिजाज भी बड़ा गरम दिख रहा है, आपको भी अन्दर तलब किया है , आइये , मनरेगा, जल-संसाधन और बजट वाली फ़ाइल भी लेते हुए आइयेगा ! “
“ठीक है, आप चलिए मैं आ रहा हूँ !”
क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ ‘साहब’ ?
“आइये –आइये ‘बड़े-बाबू ’,.... ‘नाज़िर भाई’ कहाँ है ?... ये लीजिये आ ही गए आपके पीछे-पीछे, बैठिए- बैठिए, और हाँ ‘बड़े-बाबू’ जरा राजू को बुलाइए, AC चला देगा, और जरा ये दरवाजा बंद कर दीजिये !”
“जी साहब, अभी बुलाता हूँ !” राजू ,....अबे राजू ..., अबे ‘साहब’ के कमरे का AC चला और ३ ठंढ़ा ले के आ जल्दी से, और हाँ दरवाजा बंद कर दे ,किसी को अन्दर मत आने देना , मीटिंग चल रही है !”
राजू भी गोली सी तीव्र गति से गया और सब काम निपटा कर दरवाजा बंद कर के बाहर दरबान की तरह खड़ा हो गया, इसी बीच ‘साहब’ ने सभी फाइलों को उलट –पुलट कर देखा लिया था !
“ हाँ ,तो ‘नाज़िर भाई’, और ‘बड़े-बाबू’ आप भी , जरा बताइए ये खेल है क्या ?”
“नाज़िर भाई बोले, साहब, कुछ समझा नहीं, आखिर हुआ क्या ?”
अब ‘बड़े-बाबू’ बोले , “अरे ‘नाज़िर भाई’, आपको याद है वो जो सक्सेना साहब के समय टेंडर हुआ था गाँव- गाँव में तालाब बनाने का , उसमे वो ‘शाहपुर’ गाँव वाला तालाब नहीं मिल रहा है !”
“अरे ‘बड़े-बाबू’ जी ऐसा कैसे हो सकता है, वो काम तो हमारी निगरानी में ही हुआ था, गाँव के बीचों-बीच कितना सुन्दर तालाब बनाया था, पूरे चालीस लाख का खर्चा हुआ था याद है न !”
“ भाई, वही तो मैं ‘साहब’ को समझा रहा हूँ, लेकिन यार जब हम दोनों ने आज गाँव का दौरा किया तो वो तालाब वहाँ था ही नहीं ! “
“ ओह हो, आप दोनों ने ही लगता है गलत गाँव का दौरा कर लिया, अरे वो गाँव शाहपुर नहीं शाहपुरा है !”
इतना सुनते ही ‘साहब’ भड़क उठे और चिल्ला कर बोले , “बहुत देर से तुम लोगों की बकवास सुन रहा हूँ, अब भी सही-सही बता दो वरना दोनों की नौकरी पी जाऊंगा !”
अब क्या था दोनों उठे और ‘साहब’ के पैरों पर गिर पड़े , गिडगिडाते हुए कहने लगे “माफ़ कर दो ‘साहब’, हम तो नौकर आदमी हैं, छोटे- छोटे बच्चे हैं, बड़ी बदनामी हो जाएगी साहब ,सब सक्सेना साहब का खेल था , दरअसल तालाब तो बना ही नहीं था !”
“ साहब’ फिर गरजे , “अरे जब तालब बना ही नहीं तो पैसा कहाँ गया ?”
“पता नहीं ‘साहब’ पर हम दोनों को २-२ प्रतिशत मिला था, इस मामले में सक्सेना साहब बहुत ईमानदार थे, खैर अब तो साहब रिटायर हो गए !”
“अरे यार तुम लोग भी ना, अरे पैर तो छोडो, चलो बैठो, और काँप क्यों रहे हो, AC बंद करवा दूं क्या ?”
“नहीं ‘साहब’ , बस जरा दहशत हो गयी है ,माफ़ कर दो ‘साहब’, वर्ना हार्ट अटैक हो जाएगा !”
“तुम लोग भी न, भावुक कर दिया यार, रुको तुम्हारी नौकरी बचाने का कोई हल निकालता हूँ, जरा जाओ ५-७ मिनट घूम के आओ, तब तक में जरा एक-दो फ़ोन मिलाता हूँ !”
“जी साहब - कहकर दोनों बाहर निकल गए !”
“ अरे यार ‘नाज़िर भाई’ , चलो एक एक सिगरेट सूत कर आते है ,हाँ ‘बड़े-बाबू’ चलो यार बड़ा तनाव हो गया है, पर ‘साहब’ लगते तो कठोर हैं,पर दिल के बढ़िया आदमी हैं, देखो क्या करतें हैं !”
ठीक ७ मिनट बाद दोनों ‘साहब’ के कमरे के अंदर हाथ जोड़े खड़े थे !
“अरे आ गए आप लोग, चलिए आपकी समस्या का भी समाधान कर देतें हैं , अच्छा आप दोनों में टाइपिंग किसकी बढ़िया है ?”
“ साहब, ‘नाज़िर भाई’ की , ‘बड़े-बाबू’ बोले !”
“अच्छा तो लिखिए पत्रांक संख्या ... , हाँ तारीख ५ दिन बाद की डालियेगा, सेवा में माननीय सचिव, .....शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग....बाकी लिख लोगे न !”.
“जी ‘साहब’ !” “ आगे लिखो दिनांक...(आज की तारीख डाल देना) को जिला ..के अधिकाँश गाँवों का दौरा किया गया ,और इस सन्दर्भ मैं आपको अवगत करना है की २ वर्ष पहले शाहपुर गाँव के बीचों –बीच एक तालाब का निर्माण शासन द्वारा जनहित में कराया गया था ,जिसकी जल आपूर्ति शारदा कैनाल द्वारा होती है ,पर पिछले साल की बाढ़ में इस जलाशय में कई मगरमच्छ बह कर आ गए थे और अब इन्होने बड़ा आकार ले लिया है , गाँव के लोगों से बातचीत करने पर यह संज्ञान मैं आया है की पिछले कुछ दिनों से कई गाय , भैस और अन्य पालतू जानवर लापता है ,जो लगता है की मगरमच्छों का शिकार बन गए है ,साथ की गाँव के कुछ छोटे बच्चे भी लापता है जो संभवतः इसी तालाब में डूब गए हैं , गाँव के लोगों द्वारा इसमें कूड़ा कचरा फैंकने के कारण इसका जल विषाक्त हो गया है,तथा हर बरसात में यह तालाब भर जाता है जिससे इस गाँव के तथा आस पास के अन्य गांवों के जलमग्न होने का खतरा मंडराता रहता है अत: जनहित मे इसको तुरन प्रभाव से बंद करवाने की अनुमति प्रदान करें, कुछ सरकारी मान्यता प्राप्त ऐजेंसियों से इसका सर्वेक्षण करवाने पर इसको और कैनाल को बंद करवाने की अनुमानित लागत लगभग ३५ लाख रूपये की पायी गयी है ,पर पारदर्शिता बनाए रखने हेतु आपसे निवेदन है की टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिये (कॉपी संलग्न है ).
साथ ही मगरमच्छों के पुनर्वास के लिए चिड़ियाघर के अधिकारियों को निर्देशित करने की कृपा करें !
सादर !
“ क्यों ठीक है न ‘बड़े-बाबू’, ये टेंडर और ठेकेदार का जुगाड़ आपकी जिम्मेदारी रहेगी !”
“अरे सर कमाल है आपका भी, आप निश्चिंत रहिये !”
“और ‘नाज़िर भाई’, इसको भेजने से पहले सभी कागज पूरे करके लगा दीजियेगा तब मैं हस्ताक्षर करूंगा , और इसकी कॉपी माननीय मुख्यमंत्री जी , सचिव- वित्त को भी करनी है, इस बार आप लोगों का ३ %- ३ % रहेगा,खुश हैं ना हा हा हा !”
“और हाँ ,इस बजट के आ जाने के बाद एक नया बड़ा तालाब वो चार गावों के बीच पंचायत वाली गहरी जमीन पर खोदना है ,..रेन वाटर हार्वेस्टिंग , अनुमानीत बजट १ करोड़ समझ गए ना ..हा हा हा !”
“ पर साहब वो ऊपर का और मगरमच्छ का कैसे मैनेज होगा !”
“उसकी चिंता आप मत करिए ‘नाज़िर भाई’, वहाँ पहले से ही, हमसे भी बड़े–बड़े मगरमच्छ बैठे हैं !”
© हरि प्रकाश दुबे
"मौलिक व अप्रकाशित”
Comment
आदरणीय मिथिलेश भाई ,रचना पर समर्थन के लिए आपका आभार , लिखने तो बैठा था लघु कथा ,ये विचार भी बुना , पर अफ़सोस कहानी बन गयी क्योंकि जो मैं कहना चाह रहा था वो कम शब्दों मैं व्यक्त ही नहीं हो पा रहा था ,बस लिखता चला गया, विस्तार तो हो ही गया है ! सादर
सोमेश भाई ,आपका बहुत आभार , बात आपकी सही है ,इस रचना पर थोडा और समय दिया जाना चाहिए था, देखता हूँ कुछ और संशोधन कर पाया तो जरूर करूंगा ! सादर
आदरणीय इं. गणेश जी बागी सर , लिखने तो बैठा था लघु कथा ,ये विचार भी बुना , पर अफ़सोस कहानी बन गयी और ,अब विचार तो मौलिक ही है ,पर आपकी बात से सहमत हूँ की इस तरह की भ्रष्टाचार पर व्यंग करती हुई कहानियाँ भी तैर रहीं हैं , पुनः प्रयास करूंगा की कुछ नया और कहानी विधा को सार्थक करता प्रस्तुत कर सकूं ! आशा है आगे से आपको निराशा नहीं होगी , रचना पर आपकी प्रतिक्रया के लिए आभार , एक नयी दिशा मिली ! सादर
आदरणीय हरिप्रकाश जी, भ्रष्टाचार पर व्यंग हेतु यह कहानी वर्षों से कही और सुनी जाती रही है, मुझे लगा कि कुछ नया पढ़ने को मिलेगा किन्तु निराशा हाथ लगी. सादर.
सुंदर अभिव्यक्ति भाई जी ,विषयवस्तु बहुत अच्छा है परंतु जहाँ पर पत्र टाईपिंग किया जा रहा है ,वहाँ कुछ बदलाव कर सकें तो कहानी और बेहतर हो सकती है |
Aadarniya Hari Prakash dubey Ji,
Kya tasbir pesh ki hai aapne .
चोरों की दुनिया में साहूकार ढूढा ,जिसे साहूकार समझा वो चोरो का सरदार निकला. ढ़ेरो बधाई
बहुत सुन्दर रचना हुई है आ. Hari Prakash Dubey जी ,,सादर बधाई आपको |
बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय, हार्दिक बधाई स्वीकारें |
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