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दफन है बहुत आग सीने में जिसके ------ग़ज़ल उमेश कटारा

122 122 122 122

बहुत हो चुकी हैं शराफत की बातें
चलो अब करें कुछ व़गाव़त की बातें
....
हसद है उन्हें अब मेरी शौहरतों से
जो करते कभी थे रियाज़त की बातें
.....
दफन है बहुत आग सीने में जिसके
वो कैसे   करेगा नज़ाकत की बातें
.....
बुजुर्गों की सेवा जरूरी बहुत है
करो सिर्फ इनकी इवादत की बातें
......
मुआफी के काबिल नहीं बेवफाई
न मुझसे करो तुम नदामत की बातें
......
जिसे जिन्दगी देके मैंने बचाया
वो करने लगा है खिलाफत की बातें

रियाजत --समर्पण
हसद-जलन
नदामत--पश्चाताप
अदावत -दुश्मनी

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 605

Comment

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Comment by vandana on April 1, 2015 at 8:27pm

दफन है बहुत आग सीने में जिसके
वो कैसे   करेगा नज़ाकत की बातें

वाह आदरणीय बहुत बढ़िया 

Comment by umesh katara on April 1, 2015 at 7:27pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on April 1, 2015 at 7:26pm

आदरणीय Nazeel जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on April 1, 2015 at 7:26pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी शुक्रिया

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 1, 2015 at 1:37pm

आ० कटाराजी

बेहतरीन गजल . वाह  !

Comment by Nazeel on April 1, 2015 at 1:35pm

अच्छी  रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय  उमेश भाई जी

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