For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दस दॊहॆ,,,,,(माँ)
===========
प्रथम खिलायॆ पुत्र कॊ,बचा हुआ जॊ खाय !
दॊ रॊटी कॊ आज वह, घर मॆं पड़ी ललाय !! (१)

दूध पिलाया जब उसॆ, सही वक्ष पर लात !
वही पुत्र अब डाँट कर, करता माँ सॆ बात !! (२)

सूखॆ वसन सुलाय सुत,रही शीत सिसियात !
चिथड़ॊं मॆं अँग अँग ढँकॆ, जागी सारी रात !! (३)

नज़ला खाँसी ताप या, गर्म हुआ जॊ गात !
एक छींक पर पुत्र की, जगतॆ हुआ प्रभात !! (४)

गहनॆ गिरवी धर दियॆ, जब जब सुत बीमार !
मज़दूरी कर कर भरा, फिर भी चढा उधार !! (५)

आज पड़ी जब खाट मॆं, चाह रही उपचार !
पॊता - पॊती सुत वधू, दॆं उस कॊ दुत्कार !! (६)

काँख दबायॆ लाल कॊ, फिरी खॆत अरु हाट !
भीख माँगती आज वह, बॆ-वश काशी घाट !! (७)

जिसनॆं जन्मा कॊंख सॆ, रही कष्ट वह काट !
श्वान शयन बिस्तर करॆ, माँ कॊ टूटी खाट !! (८)

वृद्धाश्रम मॆं कट रहा, पल - पल उसका रॊय !
किन्तु माँगती दुआ है, बुरा न सुत का हॊय !! (९)

मात पिता कॊ कष्ट दॆ, बाँधॆ सुख कॆ सॆतु !
‘राज़’ नरक मॆं ठौर है, पातक सुत कॆ हॆतु !! (१०)

"राज बुन्दॆली"

मौलिक व अप्रकाशित,,,,,,,

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 7, 2015 at 11:51pm

इस प्रयास पर बधाइयाँ आदरणीय राज बुन्देली जी.

वैसे अंग और अँग के अन्तर पर ग़ौर करें. अंग कभी अँग नहीं लिखा जा सकता. उस हिसाब से वह दोहा दोषयुक्त है.

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 7, 2015 at 9:39am

इस रचना पर आपको नमन!अभिनन्दन! आदरणीय!

Comment by Shyam Mathpal on April 6, 2015 at 8:13pm

आ० बुन्देली जी,

हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 6, 2015 at 4:36pm

आदरणीय राज बुन्देली जी भावपूर्ण दोहावली पर हार्दिक बधाई 

Comment by Nirmal Nadeem on April 6, 2015 at 1:11pm

BAHUT KHOOOB WAAAH WAAAAH. MUBARAK HO

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 6, 2015 at 10:44am

आ० भाई राज बुंदेली जी , यथार्थ और भावपूर्ण दोहों के लिए कोटि कोटि बधाई .

Comment by Nazeel on April 6, 2015 at 9:57am

आदरणीय  कवि  राज बुंदेली  जी  सुन्दर रचना  के लिए  हार्दिक बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 8:59am
बधाई।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 8:50am

आ० बुन्देली जी

हम  आप से ऐसी ही सुन्दर सुगढ़ रचना की उम्मीद करते है i शिल्प और भाव दोनों ही अति उत्तम हैं . आपको बधाई  . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service