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दस दॊहा,,,(व्यसन मुक्ति)
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धुँआ उड़ाना छॊड़दॆ, मत भर भीतर आग !
सड़ जायॆंगॆ फॆफड़ॆ, हॊं अनगिनत सुराग़ !!(१)

जला जला सिगरॆट तू, मारॆ लम्बी फूंक !
रॊग बुलाता है स्वयं, कर कॆ भारी चूक !!(२)

बीड़ी सिगरिट फूँक कर, करॆ दाम बर्बाद !
मीत न आयॆं पूछनॆं,जब तन बहॆ मवाद !!(३)

कैंसर सँग टी.बी. मिलॆ,जैसॆ मिलॆ दहॆज़ !
खूनी खाँसी अरु दमा,अंत मौत की सॆज़ !!(४)

मजॆ उड़ाता है अभी, गगन उड़ाता छल्ल !
खूनी खाँसी जब उठॆ, रक्त बहॆगा भल्ल !!(५)

पीना सिगरिट छॊड़कॆ,जीना ढँग सॆ सीख !
पत्नी बच्चॆ कल यहाँ,माँगॆं घर घर भीख !!(६)

ईश्वर सॆ काया मिली,मिला भला परिवार !
नशा-मुक्त काया पलट,पीना छॊड़ सिगार !!(७)

गुटखा खैनी खूब तू,मलमल रहा चबाय !
गाँजा, दारू, भाँग सब,लॆंगॆ शीघ्र  उठाय !!(८)

सुदृढ,सौम्य काया सबल,है जीवन का सार !
इसॆ लीन कर व्यसन मॆं,मत करना बॆकार !!(९)

नशा,मुक्ति का आइयॆ,छॆड़ॆं हम अभियान !
अपनॆ भारत दॆश  का, करियॆ नाम महान !!(१०)

"राज बुन्दॆली"

मौलिक व अप्रकाशित




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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 9, 2015 at 5:34pm

आ० राज बुन्देली जी 

बहुत सुंदर , अच्छी सीख दी नशेबाज़ों को , हार्दिक बधाई । 

बीड़ी सिगरिट फूँक कर..........  बीड़ी सिगार फूँक कर

पीना सिगरिट छॊड़कॆ.......... धूम्र पान सब छॊड़कॆ

मात्रा कम  करने के लिए सिगरेट को सिगरिट लिखना कुछ खटक रहा है 

सादर 


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Comment by rajesh kumari on April 9, 2015 at 10:03am

दस के दस दोहे शिक्षा प्रद ...बहुत खूब ..हार्दिक बधाई आ० राज बुन्देली जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 8, 2015 at 3:08am
सराहनीय , बधाई , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 7, 2015 at 10:33am

कैंसर सँग टी.बी. मिलॆ,जैसॆ मिलॆ दहॆज़ !
खूनी खाँसी अरु दमा,अंत मौत की सॆज़ !!      लाजव़ाब

सार्थक रचना पर ढेरों बधाईयां आदरणीय!

Comment by Shyam Narain Verma on April 7, 2015 at 9:56am
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

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