For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम नदी के तरह समर्पण तो करो

मैंने हमेशा,तुमको
एक शान्त ,स्थिर,
धैर्य चित्त रखते हुये 
एक समुद्र की तरह चाहा है
मगर क्या तुमने किया 
खुद को नदी की तरह 
मुझको समर्पित
कदाचित नहीं ।।

नदी ,समुद्र में कूद जाती है
खुद का अस्तित्व मिटाकर
मगर अमर हो जाती है
समुद्र की मुहब्बत बनकर
हमेशा के लिये 
और बहती रहती है 
युगों युगों तक समुद्र 
के हृदय में ।।

मैं समुद्र हूँ 
तुम नदी हो
मैं तुम्हें मनाने भी चला आऊँ
मगर मेरे साथ 
तूफान भी चला आयेगा
फिर सिर्फ तबाही होगी 
कुछ नहीं होगा चारो
सिवाय विनाश के
समुद्र नदी को लेने आये
ये नियमों के प्रतिकूल है।।

मैं समुद्र की तरह इन्तजार में हूँ
तुम नदी की तरह 
खुद का समर्पण कर 
समा जाओ हमेशा के लिये 
मेरे अन्तस में 
पानी संग पानी की तरह मिल जायें
हम सदैव के लिये
कोई अलग न कर सके कभी 
लाख चाहकर भी ।।

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित


Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on April 8, 2015 at 10:19pm

आदरणीय shree suneel रचना को आपका आशीर्वाद मिला शुक्रिया

Comment by shree suneel on April 8, 2015 at 12:24pm
मैं समुद्र की तरह इन्तजार में हूँ
तुम नदी की तरह...
आ0, सुन्दर और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई.
Comment by umesh katara on April 7, 2015 at 7:33pm

आदरणीया Shyam Narain Verma रचना को आपका आशीर्वाद मिला शुक्रिया

Comment by umesh katara on April 7, 2015 at 7:33pm

आदरणीया Dr. Vijai Shanker रचना को आपका आशीर्वाद मिला शुक्रिया

Comment by umesh katara on April 7, 2015 at 7:32pm

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri रचना को आपका स्नेह मिला शुक्रिया

Comment by umesh katara on April 7, 2015 at 7:31pm

आदरणीया Dr.Prachi Singh रचना को आपका आशीर्वाद मिला शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 7, 2015 at 5:24pm

नदी की सागर के प्रति समर्पित हो जाने का आह्वाहन करते हुए मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करने का सुन्दर प्रयास हुआ है आ० उमेश कटारा जी 

बधाई स्वीकारिये 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 7, 2015 at 10:35am

सुन्दर! बधाई आदरणीय!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 7, 2015 at 10:23am
वाह ! सुन्दर , बधाई , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on April 7, 2015 at 9:54am
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service