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अतुकांत कविता : मुक्ति (गणेश जी बागी)

मुख पर स्थाई भाव
न राग न द्वेष
शांत और निच्छल
पूर्णता को प्राप्त

जिन्दगी की भाग-दौड़
बहू की भुन-भुन
बेटे की झिड़की 
पत्नि की देखभाल

और ....

महंगी दवाइयों से
मिल गयी मुक्ति
 

चल पड़ा वो
सब कुछ त्याग
महा-यात्रा पर....

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => तरही ग़ज़ल (तू रात की रानी है)

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 4, 2015 at 4:46pm

जीवन का यथार्थ दर्शाती , भावुक करती इस रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय बागी जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 19, 2015 at 11:40am

आदरणीय नीरज कुमार नीर जी, आपकी सराहना पाकर रचना और समृद्ध हुई, बहुत बहुत आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 19, 2015 at 11:39am

आदरणीय सौरभ भईया, रचना को आपका आशीर्वाद मिला, रचना पूर्ण हुई एवं रचनाकार तृप्त हुआ, बहुत बहुत आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2015 at 7:53pm

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी, आप द्वारा सराहना युक्त प्रतिक्रिया प्राप्त कर रचना सार्थक प्रतीत होने लगी है, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2015 at 7:51pm

आदरणीया राजेश जी, रचना को आपका आशीर्वाद मिला लेखन कर्म सार्थक लगने लगा, सराहना और प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार.

Comment by Neeraj Neer on April 16, 2015 at 5:35pm

बहुत भावपूर्ण रचना ...  यह  महायात्रा तो हर कष्ट एवं असुविधा से मुक्ति का मार्ग है ..... मर्माहत  करती हुई रचना के लिए बधाई ..... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 3:28pm

सहज राहों के सामान्य यात्रियों की महायात्रा का अत्यंत संवेदनशील प्रस्तुतीकरण पर हार्दिक बधाई, गणेश भाई..

अश्वत्थ एवं छतनारों तक का असहाय-सा धराशायी होना किंकर्तव्यविमूढ़ कर देता है. फिर ऐसे मुमुक्षुओं का दिशा-प्रणाय तो सिहरा देता है. आपकी दष्टि को शब्दों का सहयोग मिला है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2015 at 9:00am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, रचना पर आपकी उपस्थिति और सुझाव दोनों मुग्धकारी है, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2015 at 8:59am

आदरणीय राजकुमार आहूजा जी, रचना पर आपकी सकरात्मक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार.

Comment by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 10:41pm

आदरणीय  इं " बागी " सर , बहुत ही संक्षेप  में पर अपने आप में  बहुत विस्तार  लिए हुए  सुन्दर रचना ! हार्दिक बधाई ! सादर 

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