For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो लघुकथाएँ - (अम्बेदकर जयंती पर)

(१). बदरंग संवेदनाएँ

"घोषणा करवा दो कि कल हम पूरा दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे।"    
"क्यों नेता जी ? कल तो कोई व्रत उपवास भी नहीं है।"
"अरे कल अम्बेदकर जयंती है न, पता नहीं किस किस बस्ती में जाना पड़ जाए ।"  
------------------------------------------------------------------------------
(२). सफ़ेद साँप

"आज तो स्पेशल जश्न होना चाहिए।"
"तो भेजें किसी को दारू सिक्का लाने ?"
"दारू सिक्के के साथ साथ मेरे लिए नत्थू की लौंडिया पकड़ कर लायो।"
"अरे नेता जी, आपको पता है न नत्थू किस जात का है ?" 
"अबे चुप !! ऐसा बोलेगा तो बाबा साहेब की आत्मा को कष्ट पहुँचेगा।"
--------------------------------------------------------------------------

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 893

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 15, 2015 at 8:48pm

दोनों ही लघुकथा बेहद ही उम्दा,माइक्रोस्कोपिक दृष्टि से लिखी गयी कथा का बेहतरीन उदाहरण!

Comment by विनय कुमार on April 15, 2015 at 8:47pm

आप की रचना पर कुछ कहना मतलब वाह ही करना | जबरदस्त लघुकथाएँ और उनका असर बहुत ही तीछ्ण | बहुत कुछ सीखते हैं हम लोग इन रचनाओं से , सादर नमन आदरणीय | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 15, 2015 at 7:48pm

दोनों लघुकथाएं बहुत उम्दा लगी ,सर. यह सिर्फ आज ही नहीं ,सदा से चले आ रहे जातिवाद को आइना दिखा रहीं है. बहुत-बहुत बधाई,आदरणीय योगराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 15, 2015 at 6:40pm

आदरणीय योगराज भाई , दोनो लघु कथा दो विरोधी आचरन को बताने मे पूरी तरह सफल रहीं । दो धारी तलवार की तरह मारक लगीं ।

आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 6:25pm
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी , निसंदेह दोनों लागु-कथाएं स्वयं में पूर्ण हैं और हालात पर जबरदस्त कटाक्ष करतीं हैं. दोनों के शीर्षक भी बहुत प्रभावी हैं। बहुत बहुत बधाई, सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 6:06pm

अ० अनुज

लघु कथा  आपकी हो तो कुछ कहने की गुन्जाईश ही कहाँ रहती है  i दोनों ही कथाये  एक से बढ़कर एक हैं . सादर .

Comment by shashi bansal goyal on April 15, 2015 at 5:35pm
योगराज जी दोनों लघुकथाएँ मारक हैं ।जब पेट की भूख की बात थी तो जाति याद आ गई पर जैसे ही बात शरीर की भूख की आई तो सब जातिवाद निकल गया ।ये है नेताओं का असली चेहरा । वोट चाहिए तो पूजा । जीते तो उनके यहाँ खाना भी गवारा नहीं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service