सरगम भरता, कल-कल करता,
झर-झर झरता निर्झर सस्वर I
तम को छलता, पग-पग चलता,
धक्-धक् जलता सूरज सत्वर II
सन-सन बहता, गुम-सुम रहता,
क्या-कुछ कहता रह-रह मारुत I
मह-मह उपवन, बह-बह कर मन,
यह क्या उलझन है रुत अजगुत II
छन-छन पायल, तन-मन घायल,
मन्मथ मायल आतुर बाले !
झन-झन झनके, कंगन खनके ,
बोले – ‘प्रिय हैं आने वाले II’
थक-थक नैना, बुद-बुद बैना,
पचि-पचि रैना, अंसुवन काटी I
डिग-डिग संयम, धिग-धिग प्रियतम,
ढिग-ढिग बंधन की परिपाटी II
यदि आ जाते, रस सरसाते,
मधु बरसाते, मैं मदमाती I
मंदिर मैय्या पुहुप दुनैय्या,
लावा-लैय्या, मैं भर लाती II
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
अ० सौरभ जी
आपका शत शत आभार i सचमुच दो चरणों में तुकांतता अपेक्षित थी i सस्वर भास्वर को भी ठीक करता हूँ . बिन गुरु ज्ञान न होय सादर .
जिन छन्दों का आपने नाम लिया है वे सोलह मात्रिक छन्द हैं. इनकी पूरी सुची यों है -
पद्धरि, अरिल्ल, डिल्ला, उपचित्रा, पज्झटिका, सिंह, विश्लोक, चित्रा, वनवासिका, मत्त समक, चित्रा, वानवासिका, चौपाई, शृंगार, पादाकुलक, पदपादाकुलक और चौपाई
सोलह मात्राओं के चरण होने के कारण ये सभी वस्तुतः चौपाई या पादकुलक की श्रेणी के छन्द माने जाते हैं लेकिन उनके विधान तनिक-तनिक भिन्न हैं. जैसे शृंगार और पद्धरि का अन्त गुरु-लघु से होता है अतः ये चौपाई के प्रारूप नहीं हैं. लेकिन अन्य का द्विकलों से ही पदान्त का विधान है. अतः ये सभी चौपाई के ही भिन्न प्रारूप हैं.
आगे तो आप भी जानते हैं आदरणीय कि चौपाई की एक अर्द्धाली दो चरणों की होती है और तुकान्तता में होती है. तो फिर सम चरणों की तुकान्तता का नियम कैसे मान्य हो सकता है, जैसा कि आपकी रचना में अपनाया गया है ? मेरा यही प्रश्न था.
यदि मैं गलत हूँ तो यहाँ सुधार की पूरी गुंजाइश है. अन्यथा मेरे जाने नियम यही है जो मैं उद्धृत कर रहा हूँ.
फिर,
सास्वर यदि टंकण त्रुटि है तो भास्वर से तुकान्तता अशुद्ध है. इसे भी देख लीजियेगा.
सादर
आ० सौरभ जी
जब आप रचना पर आते है मुझे संतुष्टि मिलती है i आप कुछ न कुछ सिखा कर ही जाते हैं i
सास्वर तो सस्वर होना चाहिए था पर टंकण त्रुटि हो गयी .
पादाकुलक छंद का शिल्प जहा से मैंने लिया है उसमे चार चौकल् की ही बाध्यता बताई गयी है i अन्य छंद पादाकुलक भेद है जैसे -पद्धरि , अरिल्ल, डिल्ला आदि i कृपया मुझे मार्ग दर्शन करें की चौकल के अतिरिक्त अन्य अपेक्षाएं क्या है ताकि आगे की रचनाये शुद्ध हो सकें . सादर .
आ० श्यामनारायण वर्मा जी
सादर आभार .
श्री सुनील जी
आभार मित्र . सादर .
आ० दीदी
आपके प्यार को नमस्कार . सादर .
आ० हरी प्रकाश दुबे जी
शुक्रिया भाई जी . सादर .
प्रिय कृष्णा
बहुत बहुत आभार . स्नेह .
आ० सरना जी
अनुगृहीत हुआ . सादर .
आ० विजय सर !
हार्दिक आभार i
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