बदलने को बदल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
हवा के साथ ढल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
यहाँ रंगीन होती रोशनी है कौंधने वाली
खुशी के साथ जल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
हमारे आम पर यह कूकती कोयल बताती है
नये मौसम मचल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
हमारे नौजवानों की नई पीढी, नये रिश्ते
नशे में खुद को छल जाना मगर तहजीब जिंदा रख
महब्बत के लिये तो लाख पापड बेलने होंगे
महब्बत में उछल जाना मगर तहजीब जिंदा रख
बदलना भी जमाने का बडा हैरान करता है
बहुत आगे निकल जाना मगर तहजीब जिंदा रख
भटक कर आदमी इनसानियत को प्यार करता है
कंही खुद को न छल जाना मगर तहजीब जिंदा रख
...........................सूबे सिंह सुजान.......................
मौलिक तथा अप्रकाशित
Comment
Dr. Vijai Shanker, जी आपकी टिप्पणी पाकर मुझे खुशी हुई। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Samar kabeer, जी आपने तारीफ की । मैं अभिभूत हूँ। परंतु मुझसे भी अवश्य ही दोष हुआ है । यह दोष पता चलने पर मुझे बहुत हैरत हुई कि मैं कैसे गलती कर गया। गिरिराज जी ने मुझे याद दिलाया मैं उनका और आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।
जी आपका बहुत बहुत आभार। आपने ठीक याद दिलाया।
मानता हूँ यह तो दोष है। बहुत जल्दबाजी कर गया । इस दोष पर आप सब प्रबुद्धजनों से क्षमा प्रार्थी हूँ।
जी आपका आभार
आपका आभार
आदरणीय सूबे सिंह भाई जी , गज़ल बहुत सुन्दर हुई है , बहुत कठिन रदीफ का आपने निर्वाह किया है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
मतले मे काफिया में सिनाद दोष आ गया है -- बदल जाना .... और घुल जाना .... समान हिस्से - ल जाना के पहले का स्वर मेल भी होना आवश्यक है , बदल मे अल और घुल मे उल आ रहा है , देख लीजियेगा ॥
आ० सुजान जी
अच्छी गजल हुयी है . सादर .
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online