For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 धरती रोती है ,मैंने देखा है धरती रोती है

 

छीज रहा उसका आँचल  

बिखर रहा सारा संसार

त्रस्त कर रही उसको निस दिन

उसकी ही मानव संतान

 

विगत की तेजोमय स्मृतियाँ

वर्तमान में तीव्र  विनाश

आगत एक भयावह स्वप्न

भग्न - बिखरती आस

 

पशु - पक्षी जीव वनस्पति

सब ही हैं उसकी संतति

पर मानव ने मान लिया

धरा को केवल अपनी संपत्ति

 

शक्ति मद में भूल गया

वह नहीं अकेला  अधिकारी

उसके हित में ही विधि ने

रची नहीं सृष्टि सारी

वह ज्ञानी है बुद्धिमान है

धरती का संरक्षण करता

उसके सब संसाधनों का

सबमें समुचित वितरण करता

 

पर सारी सीमा लाँघ गयी

मनुजों की अनियन्त्रित लिप्सा

धरती का सीना चीर - खोद

हर  सम्पदा   पाने की ईप्सा

 

कंक्रीटों के विपिन उगाये

नदियाँ सोखी खींचा भूजल

ज़हर बुझे सयंत्र लगाकर

क्षत - विक्षत कर डाले वन

 

अपने श्रेष्ठ होने की जिम्मा

कहाँ निभा पाए हैं हम

समृद्ध  धरा जो प्रभु ने दी

कहाँ बचा पाए हैं  हम

 

मानव ने हाहाकार मचा दी

धरिणी के सुन्दर मधुबन में

कुछ स्पंदन शेष बचे   हैं

अब अवनी के जीवन में

 

गत - क्षत यौवन के अवशेषों पर

कृशकाय , तिरस्कृत  अवसादित

विगलित तन बोझिल मन ले

चुपचाप अकेले  रोती हैं

 

धरती रोती है ,मैंने देखा है धरती रोती है 

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 879

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on June 3, 2015 at 7:54pm
धन्यवाद शरद जी ,धन्यवाद मुकेश जी
Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on June 1, 2015 at 6:33pm

मानवीय संवेदनाओं को जगकर ही किसी कार्य को सही गति प्रदान किया जा सकता है.... बधाई इस मार्मिक रचना हेतु आदरणीय तनुजा जी सादर..

Comment by Mukesh Kumar Saxena on May 30, 2015 at 10:54am

धरती की पीड़ा को महसूस कराती अत्यंत भावप्रवण् रचना के लिए बधाई ।

Comment by Tanuja Upreti on April 24, 2015 at 8:05am
सराहना के लिए आभार मैडम ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 23, 2015 at 10:52pm

धरती माता की त्रासदी उसकी अंतरात्मा की चीखों को स्वर देती आपकी ये प्रस्तुति सराहनीय है बहुत बहुत बधाई इस सामायिक रचना पर प्रिय तनजा जी .

Comment by Tanuja Upreti on April 23, 2015 at 12:58pm
धन्यवाद लक्ष्मण जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 23, 2015 at 10:57am

आ0 तनूजा जी, कटु सत्य को बयां करती इस रचना के लिए ढेरों बधाईयां ।

Comment by Tanuja Upreti on April 22, 2015 at 1:24pm
आभार आदरणीय लक्ष्मण जी
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 22, 2015 at 11:25am

प्रथ्वी दिवस दि. 22-4-2015 आपकी इस सामयिक और भावपूर्ण रचना के  लिए  हार्दिक बधाई 

Comment by Tanuja Upreti on April 22, 2015 at 7:55am
धन्यवाद मिथिलेश जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service