For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोकिला क्यों मुझे जगाती है,

कोकिला क्यों मुझे जगाती है,
तोड़ कर ख्वाब क्यों रुलाती है.


नींद भर के मैं कभी न सोया था,
बेवजह तान क्यों सुनाती है.

चैन की भी नींद भली होती है 
मधुर सुर में गीत गुनगुनाती है 

बेबस जहाँ में सारे बन्दे हैं
फिर भी तू बाज नहीं आती है

(मौलिक व अप्रकाशित)

- जवाहर लाल सिंह 

गजल लिखने की एक और कोशिश, कृपया कमी बताएं 

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 29, 2015 at 2:00am

जी आदरणीय भ्रमर जी कोशिश जारी रहेगी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 30, 2015 at 10:42am

बहुत सुन्दर भाव। .सुन्दर गजल। लोगों के सुझाव पर गौर फरमाइयेगा
भ्रमर ५

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 28, 2015 at 10:29am

हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर साहब!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 9:54am

आदरणीय जवाहरलाल जी अच्छा प्रयास है शेष तो चर्चा हो ही चुकी है प्रयासरत रहें शुभकामनायें

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 24, 2015 at 8:51pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब, सादर अभिवादन! अब मैं अवश्य सीख जाऊंगा आपलोगों का अतिशय आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2015 at 11:24pm

आदरणीय जवाहर भाई जी , प्रयास पहले से बहुत अच्छा है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । आ. बागी जी की बात सही है - 

2122   1212    22  /112  बह्र मे गज़ल के मिसरे सुधारे जा सलते हैं ,

कोकिला क्यों/  मुझे जगा/  ती है,   
तोड़ कर ख्वा/ ब क्यों रुला/ ती है.  --  ये शे र सही है


नींद भर के मैं कभी न सोया था,   --     नींद भर मैं/  कभी नहीं / सोया    ( के हटा दीजिये )
बेवजह तान क्यों सुनाती है.      -        बेवजह ता/ न क्यों सुना/  ती है.

अन्य दो को आप सुधारने का प्रयास कीजियेगा ॥

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 23, 2015 at 7:38pm

आदरनीय डॉ गोपाल नारायण साहब, पिछली बार आदरणीय गिरिराज भंडारी ने काफिया और रदीफ़ के बारे में बताया था इस बार मैंने उसे ही ठीक करने का प्रयास किया... बाकी कोशिश जारी रहेगी आपलोग मार्ग दर्शन करते रहें, यानी त्रुटियों की तरफ इशारा करते रहें ...सादर!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 23, 2015 at 2:09pm

जवाहर जी

 गजल कई जगह मीटर में नहीं है  i आप आख़री शेर देंखे -

बेबस जहाँ में सारे बन्दे हैं

2 1  2  2   1  22  22 2

फिर भी तू बाज नहीं आती है

 2    2  2  2 1  1 2  2 2 2

जवाहर जी हिन्दी के मात्रिक छंदों के हिसाब से रचना करे  , सादर .

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 23, 2015 at 10:48am

परम आदरणीय बागी साहब, आपने सुझाव के साथ मेरा उत्साह वर्धन किया है, मेरा प्रयास जारी रहेगा ...सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 23, 2015 at 10:46am

आदरणीय डॉ. विजय शकर साहब, सादर अभिवादन! मेरा हौसला आफजाई का शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,होठों को शहद, रस, जाम आदि तो कई बार देखा सुना था लेकिन पहली बार होंठ पे गमले देखने का…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आभार आ. शिज्जू भाई..मंच पर इसी तरह की चर्चा ही उर्जा भर्ती है आभार "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,आपने मुझे मज़ाक मज़ाक में अब्दुल रज़ाक कर दिया 🤣😂🤣😂🤣😂"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"बहुत खूब, आदरणीय दिनेश कुमार जी. वाह वाह  इस अच्छे प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार…"
8 hours ago
Sushil is now a member of Open Books Online
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service