दानशीलता , सज्जनता और खुली सोच के कारण लाला गजेन्द्र प्रसाद का हर कोई कायल था । चुनाव में वे दमदार प्रत्याशी होकर जब बस्ती में गये तो गरीबों की दशा देख रो पडे । स्त्री सम्मान और गरीबों के प्रति बेहद संवेदनशील भाषण भी दिया । अपने ऑफिस से निकले तो ड्राइवर को नदारद देख उनका पारा चढ़ गया।उसके आते ही एक तमाचा उसके गाल पर दिया और बिना कारण जाने सप्ताह भर की तनख्वाह काट लेने का आदेश भी। उनकेे कार्यकलाप के ब्यौरे के लिए पीछा कर रही संवाददाता छाया उनके ये बदलते रूप देखकर चौंक गई।पर कुछ सोच समझ पाती इससे पहले पकड़ी गई।और उनके कक्ष में लाई गई। बाहर निकलते हुए वो सचिव से बोले:
"छोकरी थी बहुत जोरदार-उसका वीडियो दिखाकर समझा देना की अगर जुबान खोली तो नेट पर डाल दिया जाएगा "
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
ज्योत्स्ना !!
Comment
आदरणीया
कमाँल की रचना है i एक्सपोज करती हुयी . सादर .
सुंदर
आदरणीया ज्योत्स्ना जी, आपकी किसी पहली रचना से गुजर रहा हूँ.
अपार संभावनाओं का संकेत करती इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
टंकण त्रुटियाँ-
दशा देख रो पडे ।----->दशा देख रो पड़े ।
पकड़ी गई (। ) और उनके कक्ष में लाई गई। ---> और के साथ पूर्णविराम?
समझा देना की अगर जुबान -----> समझा देना कि अगर जुबान
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